बेबात की लड़ाई, इंसानियत है मुर्झाई
शमीम शर्मा
किसी मनचले का कहना है कि कितनी भी अच्छी मूवी या टीवी सीरियल देख लो पर जो मजा घर में मां-बाब्बू की लड़ाई या मोहल्ले में किसी की जूतम-पैजम देखने में आता है, वह कहीं नहीं। शोध बताता है कि पति-पत्नी की लड़ाई का असली कारण पंडित है जिसने फेरों के समय आग में घी डाला था। ऑनलाइन लड़ाई वही जीत सकता है जिसकी टाइपिंग स्पीड खूब तेज हो। एक सभा में बहस छिड़ी हुई थी कि दुनिया का सबसे खतरनाक जानवर कौन-सा है? किसी ने कहा शेर, बाघ, चीता, हाथी सबसे ज्यादा जानलेवा हैं। एक बोला- हर साल कुत्तों द्वारा सबसे ज्यादा लोग मौत के घाट उतरते हैं। किसी का तर्क था कि खेतों में सांप-बिच्छू प्रति वर्ष लाखों लोगों की जान ले लेते हैं। पर मेरे हिसाब से सबसे खतरनाक मनुष्य है। शेर, सांप, कुत्ते व बिच्छू तो सब मिलकर एक साल में पांच-सात लाखों का सफाया करते होंगे पर आदमी की विनाश लीला का तो कहीं कोई अन्त ही नहीं है। पशु तो अपने दम पर लड़ते-मरते हैं पर आदमी ने तो हजारों किस्म के उपकरण गढ़ रखे हैं जिससे पलक झपकते ही लाखों लोगों को मौत के घाट सुलाया जा रहा है।
कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि बिना बात की लड़ाई और खूब ज्यादा पढ़ाई तो लड़कियां ही करती हैं। पर आदमियों के गैंग के गैंग जानलेवा गतिविधियों में संलिप्त हैं। देसी-विदेशी खतरनाक पिस्टल व बंदूक उनके पास होना इतनी आम बात है जितनी किसी गरीब की झोपड़ी में किसी पुराने-धुराने जंग लगे चाकू का होना। पहले तो देश की आजादी के लिये युवाओं का खून खौलता था पर अब तो बिना बात उबाल आया रहता है।
कितने ही देश एक-दूसरे की आबादी को लील रहे हैं। छोटे-बड़े का लिहाज किये बिना बम-मिसाइल रोजाना हजारों को मौत के घाट उतार रहे हैं। और जिस घर को बनाने में व्यक्ति अपनी जान लगा देता है, उन घरों को खंडहर में तब्दील करते समय किसी के मन में करुणा नहीं उभरती। इस पर ये देश दावा यह कर रहे हैं कि वे प्रगतिशील हैं।
औरों को तो आदमी मार ही रहा है, वह खुद का भी दुश्मन है। तभी तो कहीं वह नशे के इंजेक्शनों से स्वयं को तबाह कर रहा है और कहीं दारू की बोतल उसकी मौत का कारण बनती है।
000
एक बर की बात है अक ढाबे पै रोटी खाते टैम नत्थू अर सुरजे मैं कसूते जूत बाजगे। ढाबे का मालिक बीच मैं टोकते होये बोल्या- रै झकाइयो! क्यां तैं बवाल ठा राख्या है? नत्थू बोल्या- जद मैं लहसन-प्याज खाता ए नहीं तो इसनैं या लहसन प्याज आली चटनी मेरे चिकन मैं क्यूं घाल दी?