अमर्यादित बयानबाजी
नकारात्मक सोच
दुःख की बात है कि पिछले काफी अरसे से हमारे नेता बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देते हैं, जिससे बड़ा बवाल होता है और उन्हें बाद में पछताना भी पड़ता है। उसकी सफाई में कुछ और भी कहना पड़ता है। ऐसा प्रायः भावुकता, भावावेश, जोश और क्रोध में होता है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव होता है। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी से भी अभी ऐसी ही गलती हो गई है जो उचित नहीं। इसलिए ऐसे नेताओं को इसके लिए तुरंत खेद प्रकट करते हुए क्षमा-याचना करना ही उचित है। भविष्य में भी याद रखना चाहिए कि बंदूक से निकली गोली और मुंह से निकले शब्द कभी वापस नहीं आते।
वेद मामूरपुर, नरेला
कुंठा के बोल
किसान आंदोलन हो या कोई भी बैठक उसमें अपने हक के लिए केवल शुद्ध विचारों की लड़ाई हो न कि किसी की मान-मर्यादा को ठेस पहुंचाकर। हाल ही में गुरनाम सिंह चढूनी द्वारा मुख्यमंत्री को पाकिस्तानी कहना, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का ही नहीं बल्कि इससे पूरा पंजाबी समाज आहत हुआ है। किसी भी व्यक्ति द्वारा इस तरह के शब्दों का प्रयोग केवल लड़ाई-झगड़े को ही बढ़ावा देता है। देश हित के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। यह उनकी कुंठा को ही दर्शाता है।
सतपाल सिंह, करनाल
संयम जरूरी
भाकियू अध्यक्ष द्वारा मुख्यमंत्री के लिए प्रयोग किए गए शब्द किसी भी तरह से ठीक नहीं ठहराये जा सकते। लेकिन यह भी सच है कि सरकार के कुछ अतिउत्साही नेताओं ने पिछले सात-आठ महीनों में किसानों के लिए न जाने कितने ही हल्के स्तर के शब्द प्रयोग किए हैं तब किसी ने उनका विरोध नहीं किया। मुख्यमंत्री के लिए प्रयोग किए गए शब्द किसान नेताओं के गुस्से की परिणति है। यह सही है कि आपत्तिजनक और अभद्रतापूर्ण शब्दों से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। किसी को भी व्यक्ति या समाज के प्रति गलत भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
जगदीश श्योराण, हिसार
अंकुश लगे
वर्तमान समय में जब तकनीक का युग है, जहां आज हर कार्यक्रम की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग हो रही हो तो ऐसे में नेताओं द्वारा अपने भाषण में अमर्यादित शब्दों का प्रयोग अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इस वजह से राजनीति का स्तर इतना नीचे गिर चुका है कि मर्यादा पसंद लोग राजनीति में कदम रखने से पहले कतराने लगे हैं। अमर्यादित बयानबाजी भारतीय राजनीति को इस कदर गंदा कर रही है जिस तरह एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है। इस पर जल्द से जल्द अंकुश लगना चाहिए।
विजय महाजन, वृंदावन, मथुरा
गरिमा रहित
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष का वक्तव्य हरियाणा में लोगों में फूट डालने का काम कर सकता है। किसान आंदोलन चलाना और बात है लेकिन लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए किसी भद्र पुरुष को पाकिस्तानी या शरणार्थी कहकर उसका अपमान करना, पूरे पंजाबी समाज को कम आंकना है। ऐसे लोग जो अपने को किसान नेता कहते हैं उनके विरद्ध कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। गुरनाम सिंह का वक्तव्य आपत्तिजनक, गरिमा रहित, अभद्र तथा असंवैधानिक है। इसकी न सिर्फ हरियाणा बल्कि देश के सभ्य समाज को भ्ाी इसकी निंदा करनी चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
सामंतवाद का परिचायक
धर्म आधारित देश विभाजन के समय बड़ी संख्या में लोग पाकिस्तान से भारत आये। इन्हें देहात में तो पंजाबी, रिफ्यूजी और पाकिस्तानी जैसे संबोधन भी मिले लेकिन दुर्भावना से प्रेरित नहीं, परिस्थितिवश। ये समाज, समुदाय शिक्षित और समृद्ध हैं तो अपने दम पर। इन जड़हीन लोगों ने हाशिये पर रहते हुए मेहनत-मजदूरी करते हुए सिर पर छत और थाली में रोटी का इंतजाम किया। इन पर कोई भी अपमानजनक टिप्पणी निंदनीय और सामंतवाद की परिचायक है। भाकियू के अध्यक्ष का मुख्यमंत्री पर इस प्रकार की टिप्पणी करना किसी भी लिहाज से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता।
सूरज फौगाट, मुन्दाल, भिवानी
पुरस्कृत पत्र
मर्यादित हो विरोध
संविधान हमें अपने विचारों की अभिव्यक्ति का अधिकार देता है परन्तु यह अभिव्यक्ति मर्यादित होनी चाहिए। किसी भी निर्वाचित मुख्यमंत्री को अपमानित करने वाले नाम से सम्बोधित करना कुंठा व अभद्रता का परिचायक है। इस प्रकार की अमर्यादित बयानबाजी का एक सभ्य व सुसंस्कृत समाज में कोई औचित्य नहीं है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पुरुषार्थी एवं पूर्ण रूप से हिंदुस्तानी हैं। उन्होंने अपने कौशल व परिश्रम के बल पर अपने आप को स्थापित किया। इसके लिए वे पूर्ण सम्मान के अधिकारी हैं। एक स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी को मर्यादा का पालन करना चाहिए। इस प्रकार की अमर्यादित टिप्पणी की भरपूर भर्त्सना की जानी चाहिए।
शेर सिंह, हिसार