दिव्यांग बेटी को सुरों का ‘तेज’ देने वाली मां को संयुक्त राष्ट्र का ‘सलाम’
एस अग्निहोत्री/ हप्र
पंचकूला, 26 दिसंबर
कहते हैं भगवान हर जगह नहीं पहुंच सकते, इसलिए उन्होंने मां बनाई। ऐसी ही एक मां ने अपनी 90 फीसदी दिव्यांग बेटी को तराश कर भजन गायिका बना दिया। आज देश-दुनिया में उसके भजनों को लाखों सुनने वाले हैं। ये कहानी है हरियाणा की एक मां की, जिसे महिला दिवस पर संयुक्त राष्ट्र सम्मानित करेगा। संयुक्त राष्ट्र ने हर्ष शर्मा को सपरिवार वहां बुलाया है। संयुक्त राष्ट्र स्थित भारतीय दूतावास में हर्ष की बेटी तेजस्वनी को भजन गाने का अवसर भी मिलेगा।
पंचकूला में रहने वाली हर्ष शर्मा ने अपनी दिव्यांग बेटी को सक्षम बनाने में अपना सबकुछ लगा दिया। वह बेटी तेजस्वनी के साथ साये की तरह रहीं। तेजस्वनी का जन्म जुलाई 1986 में हुआ। तेजस्विनी के शुरुआती साल गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं से भरे रहे, जिसके कारण वह नौ साल तक बिस्तर पर रहीं। इस दौरान मां हर्ष शर्मा ने उसकी बेहतर तरीके से परवरिश की। हर्ष ने तेजस्वनी को भक्ति संगीत से परिचित कराया। वह उसे भजन गाकर सुनातीं। इसका प्रभाव यह हुआ कि तेजस्वनी बचपन से ही भजनों में रम गईं। धीरे-धीरे उसे सभी भजन कंठस्थ हो गए। पढ़ने, लिखने में असमर्थ होने के बावजूद, तेजस्वनी ने अपनी मां को गाते हुए सुनकर इस कला में महारत हासिल की। आज उनकी आवाज ने पूरे देश में लोगों के दिलों को छू लिया है। मां ने हर कदम पर उसका साथ दिया। 37 वर्षीय तेजस्वनी शर्मा को वर्ष 2010-11 में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने रोल मॉडल कैटेगरी में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। संभवत: भारत के लिए यह पहला अवसर होगा, जब अपनी 90 फीसदी विकलांग बच्ची की परवरिश में अपना संपूर्ण जीवन लगाने वाली मां को संयुक्त राष्ट्र में महिला दिवस पर सम्मानित किया जाएगा।
मां की सरकार से अपील तेजस्वनी की मां हर्ष शर्मा ने कहा कि केंद्र और हरियाणा सरकार महिला सशक्तीकरण को बढ़ाया दे रही है। पानीपत से ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ और ‘बीमा सखी’ योजना का आगाज इसी का उदाहरण है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से अपील की कि वे देश और प्रदेश में ऐसी बच्चियों के लिए ठोस और मजबूत कदम उठाकर उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए योजना शुरू करे।