For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

ऐतिहासिक शक्तिपीठ में होती है अनूठी पूजा

06:48 AM Oct 07, 2024 IST
ऐतिहासिक शक्तिपीठ में होती है अनूठी पूजा
Advertisement

कमलेश भट्ट
उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित चंद्रबदनी मंदिर, अपनी धार्मिक और ऐतिहासिक महता के कारण भक्तों के बीच खासा प्रसिद्ध है। देवप्रयाग से 22 किमी की दूरी पर मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। समुद्र तल से 2277 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस स्थान पर देवी सती के शरीर का धड़ गिरा था। इस मंदिर की खासियत यह है कि अन्य मंदिरों की तरह यहां देवी या देवता की मूर्ति नहीं, बल्कि एक अद्वितीय श्रीयंत्र की पूजा की जाती है, जिसे कछुए की पीठ के आकार के सपाट पत्थर पर उकेरा गया है। यहां पुजारी आंखें बंदकर या नजरें झुकाकर पूजा करते हैं। मान्यता है कि यदि आंखें बंद न हों तो आंखें चौंधिया जाती हैं।
हर वर्ष अप्रैल महीने में इस मंदिर में एक विशेष मेला आयोजित किया जाता है, जो बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस अवसर पर यहां होने वाली रहस्यमयी पूजा की खास मान्यता है। इसके अलावा, चंद्रबदनी मंदिर में पुरानी मूर्तियों और विभिन्न धातुओं से बने त्रिशूलों को भी देखा जा सकता है, जो सदियों पुरानी आस्था और परंपरा को जीवंत बनाए हुए हैं।
हिंदू कथाओं के अनुसार, यह शक्तिपीठ उस समय की याद दिलाता है जब माता सती ने अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में शिव का अपमान सहन न कर आग में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे। उनके जले हुए शरीर को भगवान शिव ने अपने कंधे पर उठाया तो पृथ्वी हिलने लगी। इसे रोकने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को काटकर कई हिस्सों में विभाजित कर दिया, जिनमें से एक हिस्सा यहां गिरा। इसी स्थान पर चंद्रबदनी मंदिर की स्थापना हुई और इसे चंद्रकुट पर्वत से चंद्रबदनी पर्वत के नाम से जाना जाने लगा।

Advertisement

Advertisement
Advertisement