नेताओं की टिकट मारामारी से बेरोजगारों को सुकून
सहीराम
पार्टी कार्यालयों तथा बड़े नेताओं की कोठियों पर टिकटार्थियों की भीड़ देखकर कम से कम हरियाणा के बेरोजगार युवा तो अवश्य ही कुछ उसी अंदाज में खुश हो रहे होंगे कि हमारी तरह से इनका भी खाना खराब है। एक बेरोजगार युवा को तो उन्हें देखकर मेरा गम कितना कम है टाइप का संतोष प्राप्त हुआ। बल्कि एक नेता ने तो बड़े ही तार्किक ढंग से कुछ बेरोजगार युवाओं के सामने यह साबित भी कर दिया कि हमारी स्थिति भी कोई बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है। जैसे एक नौकरी के लिए हजार आवेदन आते हैं, वैसे ही यहां टिकटों के लिए आवेदन आ रहे हैं।
पर जी हमारे तो पर्चे लीक हो जाते हैं- बेरोजगार युवाओं ने शिकायत की। नेता ने कहा- अरे यारो, हमारी भी तो लिस्टें लीक हो रही हैं और पार्टी प्रवक्ता झट से कह देता है कि यह फर्जी है। इसके बाद फिर नेता की ड्योढ़ी पर नाक रगड़ो। जी, हमें तो लगता था कि हमें ही आपकी ड्योढ़ी पर नाक रगड़नी पड़ती है, पर नाक तो आपको रगड़नी पड़ती है- बेरोजगार युवा को जैसे राहत-सी मिली। बेटा, नाक क्या हमें तो पता नहीं क्या-क्या रगड़ना पड़ता है-नेता ने कहा। पर जी, बेरोजगारों ने कहा- नौकरियों के लिए सिफारिशें बहुत चलती हैं। यहां क्या कम चलती हैं सिफारिशें- नेता ने कहा। नौकरियों के लिए तो पैसा भी चलता है- बेरोजगार युवाओं ने कहा। तो तुम्हें क्या लगता है- नेता ने कहा- यहां नहीं चलता।
एक नेता की कोठी पर भारी भीड़ देखकर एक बेरोजगार युवा वहां पहुंच गया। टिकटार्थियों ने उसे गहरी आशंका से देखा- लो देखो एक और आ गया। लेकिन बेरोजगार युवा कोई टिकटार्थी तो था नहीं, वह तो रोजगार्थी था, सो उसने पूछा- क्या कोई भर्ती हो रही है यहां। टिकटार्थियों ने राहत की सांस ली। हां बेटा, भर्ती ही समझो-एक टिकटार्थी ने दुखी होकर कहा- तुझे क्या चाहिए? बेरोजगार युवा ने कहा- जी नौकरी चाहिए। मैं भी लाइन में लग जाता हूं। एक टिकटार्थी ने उसका खैरख्वाह बनते हुए कहा- पहले बेटा, हमें टिकट मिल जाने दे। फिर हम तुम्हें नौकरी भी दे देंगे। अगर टिकट नहीं मिली तो- बेरोजगार युवा ने तर्क किया। तो फिर जिसे टिकट मिले, उससे नौकरी मांगना- टिकटार्थी ने कहा। एक टिकटार्थी ने स्वार्थी बनते हुए कहा- यहां क्या कर रहा है, यहां पहले ही इतनी भीड़ है। पड़ोस की कोठी में चला जा। वहां भीड़ थोड़ी कम है- जल्दी नंबर आ जाएगा। मैं भी सोच रहा हूं उधर ही चला जाऊं। युवक वहां से निकला ही था कि एक नेता ने उसे लपक लिया- टिकट चाहिए न। नहीं-बेरोजगार युवा ने कहा। वह कहना चाहता था- मुझे तो नौकरी चाहिए। पर उस नेता ने कहा- यहां नहीं मिलेगी, यहां तो सिफारिश चल रही है, पैसा चल रहा है। तू हमारे यहां चल।