For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

टूरिस्टों के डर से मामू का मुंह टेढ़ा

07:26 AM Oct 04, 2023 IST
टूरिस्टों के डर से मामू का मुंह टेढ़ा
Close up of full moon in cloud
Advertisement

अशोक गौतम

Advertisement

आज पहली बार लगा जैसे चांद मामू मुझसे नाराज हों। वैसे सच कहूं तो मुझसे कृष्ण पक्ष की चौदहवीं का चांद भी नाराज नहीं होता। मुंह टेढ़ा होने की वजह जानने के लिए आखिर मैंने मामू से पूछ ही लिया, ‘और चांद मामू! आज चौदहवीं को भी क्यों अपना मुंह टेढ़ा किया है? क्या मामी से तू तू-मैं मैं हो गई जो इस तरह मुंह फुलाए बैठे हो? या फिर तुम्हें हमारा तुमसे मिलन अच्छा नहीं लगा?’
‘भानजे! तुम युगों बाद अपने ननिहाल आए तो बहुत अच्छा लगा, पर...’
‘तो क्या हो गया अब! मामी को हमारा ननिहाल आना अच्छा नहीं लगा क्या? कहां तो तुम्हें खुशी होनी चाहिए कि युगों से तुमसे दूर तुम्हारे भानजे अपने ननिहाल आए हैं। और एक तुम हो कि... मामू! आखिर कैसे मामू हो तुम भी यार मामू?’
‘देखो भानजे! जिस तरह दूर के ढोल सुहाने लगते हैं वैसे ही दूर से रिश्ते भी। फिर भी तुम आए तो बहुत अच्छा लगा। पर तुमने चंदा मामू टूर के कहा तो बहुत डरा हुआ हूं।’
‘अरे डियर मामू! टूरिज्म इंडस्ट्री के बारे में तुम क्या जानो! आज टूरिज्म इंडस्ट्री में जितना पैसा है उतना कुबेर के पास भी नहीं। कई देश तो इसी के सहारे मालामाल हुए जा रहे हैं। टूरिस्टों को लूट-लूट कर खा रहे हैं।
मालूम है मामू! जब तुम्हारे यहां टूरिस्ट आएंगे तो तुम्हारी आर्थिक हालत चुटकियों में सुधर जाएगी। हो सकता है तुम ब्रह्मांड की सबसे बड़ी इकोनॉमी हो जाओ। तब टूरिस्टों से चंद्र मामुओं को इनकम ही इनकम होगी। मामुओं के प्रति मामू आय आसमान छूने लगेगी। तब मामियां ब्यूटी पार्लरों से बाहर ही न निकलेंगी।’ मैंने चांद मामू को टूरिज्म इंडस्ट्री के फायदों के बारे में बताया तो मामू ने प्रसन्न होने के बदले वैसे ही अपना मुंह टेढ़ा किए कहा, ‘सो तो ठीक है भानजे, तुम आओगे तो डर है कि तुम यहां भी वही हाल न कर दो जो बहुधा यहां-वहां घूमते हुए करते हो। तब यहां भी तुम्हारे लिए बड़े-बड़े होटल बनाने पड़ेंगे। अंग्रेजी, देसी के ठेके खोलने पड़ेंगे। तब इकोनॉमी के चक्कर में मेरे यहां का आध्यात्मिक वातावरण दूषित नहीं हो जाएगा क्या? टूरिस्टों के हुड़दंग से कौन अनभिज्ञ नहीं। ये टूरिस्ट नाम के जीव जहां जाते हैं, वहां हर तरह का कचरा ही कचरा फैलाते हैं।
जब टूरिस्ट यहां घूमने आएंगे तो मेरा चांद-सा निर्मल पर्यावरण प्रदूषित नहीं हो जाएगा क्या? टूरिस्ट यहां घूमने आएंगे तो मेरे शांत शहरों में अश्लील मौज-मस्ती शुरू नहीं हो जाएगी क्या? टूरिस्ट यहां घूमने आएंगे तो मेरे यहां अपराध शुरू नहीं हो जाएंगे क्या? और फिर इंस्पेक्टर मातादीन को अपनी पुलिस व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने को डेपुटेशन पर बुलवाना पड़ेगा। मातादीन के यहां आने से तुम क्या जानो हम व्यवस्था में पहले ही कितनी मूल्यहीनता झेल चुके हैं।’ कहते-कहते चांद मामू ने एक बार फिर अपना टेढ़ा मुंह दूसरी ओर फेर लिया।

Advertisement
Advertisement
Advertisement