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आसान नहीं है ट्रम्प की अदालती राह

07:57 AM Dec 23, 2023 IST

पुष्परंजन

सिटीजन्स फॉर रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड एथिक्स इन वाशिंगटन (संक्षेप में इसे क्रू बोलते हैं) एक कानूनी वकालत समूह है, जिसका रिमोट कंट्रोल चुनावी रणनीतिकार डेविड ब्रूक के हाथों में है। यह समूह स्वयं को पक्षपात रहित होने का दावा करता रहा है। ये सिटीजन्स फॉर रिस्पॉन्सिबिलिटी के लोग ही थे, जिन्होंने कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के ज़रिये डोनाल्ड ट्रंप को उस राज्य में राष्ट्रपति के रूप में चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करवाया है। ट्रंप के खि़लाफ़ मुकदमेबाजी में ‘सीआरईडब्ल्यू’ के रणनीतिकार रेस के घोड़े की तरह आगे-आगे दिखते रहे हैं। लेकिन फॉक्स न्यूज़ ने ख़बर ब्रेक की है कि डेविड ब्रॉक ने 2017 में जो बाइडेन के लिए लॉबिंग की थी। अर्थात‍्, ‘क्रू’ निष्पक्ष नहीं है।
वर्ष 2017 से 2021 के बीच सिटीजन्स फॉर रिस्पॉन्सिबिलिटी के दो प्रमुख दिग्गजों जार्ज सोरेस और डेविड ब्रूक ने 2.85 मिलियन डॉलर का इंतज़ाम जो बाइडेन विक्टरी फंड के लिए किया था। यदि फॉक्स न्यूज की ब्रेकिंग स्टोरी सही है, तो मानकर चलिये कि ट्रंप के खि़लाफ़ कोलोराडो कोर्ट के फैसले में बहुत सारे झोल हैं, और उसे निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता। जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के पूर्व काउंसिल जनरल बेथ नोलन, जिन्होंने पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के वकील के रूप में भी काम किया था, ‘क्रू’ बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के अध्यक्ष की भूमिका में रहे हैं। संघीय चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार, नोलन ने 2020 में जो बाइडेन विजय अभियान के लिए 2,800 डॉलर, और जो बाइडेन विक्टरी फंड के लिए 3,000 डॉलर भेजे थे। नोलन के अलावा, क्रू के उपाध्यक्ष, वेन जॉर्डन ने 2020 में जो बाइडेन विक्ट्री फंड में 300,000 डॉलर का ट्रांसफर कराया था। जॉर्डन ने डेमोक्रेट मेगाडोनर क्विन डेलाने से शादी की है, जिन्होंने पिछले चुनाव के दौरान जो बाइडेन विजय निधि में 650,000 डॉलर जोड़े थे।
कोलोराडो अमेरिका के मध्य-पश्चिम में अवस्थित राज्य है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह अमेरिका का 8वां और जनसंख्या के आधार पर 22वां सबसे बड़ा राज्य है। 20 दिसंबर, 2023 को कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट (इसे हाईकोर्ट समझा जाए) ने डोनाल्ड ट्रंप को अपने राज्य में चुनाव के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है। कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट ने उस जिला अदालत के फैसले को पलटा है, जिसमें कहा गया था कि ट्रंप ने 6 जनवरी, 2021 को कैपिटल हिल पर दंगे-फसाद में उपद्रवियों को हमले के लिए उकसाया था, लेकिन उन्हें राष्ट्रपति चुनाव से बाहर नहीं किया जा सकता। ज़िला अदालत ने अपने फैसले में कहा था, ‘यह स्पष्ट नहीं है कि कानूनी प्रावधान राष्ट्रपति चुनाव पर लागू होते हैं या नहीं, इसलिए ट्रंप को संदेह का लाभ दिया जा सकता है।’
सवाल है, कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या ट्रंप अमेरिकी चुनाव से बाहर हो जाएंगे? अधिकारियों का कहना है कि 5 जनवरी, 2024 तक इस मामले पर देश की सर्वोच्च अदालत ‘फेडरल सुप्रीम कोर्ट’ का फैसला आना जरूरी है, क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्राइमरी बैलट छापने की वह अंतिम तारीख है। कोलोराडो कोर्ट के इस अहम‍ फैसले का मतलब यह होता है कि ट्रंप केवल कोलोराडो राज्य में राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार नहीं हो सकते। कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राज्य के प्राइमरी बैलट से ट्रंप का नाम हटा दिया है। ऐसा पहली बार हुआ कि अमेरिकी संविधान में हुए 14वें संशोधन की धारा 3 के तहत किसी राष्ट्रपति उम्मीदवार को अयोग्य करार किया गया है।
कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट में सात जजों की बेंच में तीन जजों ने इस निर्णय पर असहमति जताई, लेकिन चार के बहुमत से यह अहम फैसला हुआ था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘अदालत ने बहुमत से यह पाया है कि 14वें संशोधन की धारा 3 के तहत ट्रंप राष्ट्रपति कार्यालय के लिए अयोग्य हैं।’ कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट के जजों ने टिप्पणी की कि हमें कानून के प्रति अपनी जिम्मेदारी का भी अहसास है। जनता की प्रतिक्रिया से प्रभावित हुए बिना, किसी डर या पक्षपात के बग़ैर हम इस फैसले पर पहुंचे हैं।
लेकिन इससे अलग ट्रंप की पार्टी ने अपने ईमेल में कोर्ट के फैसले की आलोचना की है। मेल में इसे ‘निरंकुश निर्णय’ बताया गया। कोलोराडो कोर्ट का फैसला आने के बाद मंगलवार को ट्रंप ने एक रैली को संबोधित किया था। लेकिन आयोवा प्रांत के वॉटरलू में हुई रैली में उन्होंने फैसले का कोई जिक्र नहीं किया था। एक बात और, 2020 में जब राष्ट्रपति चुनाव हुए थे, तो कोलोराडो में ट्रंप की 13 फीसदी मतों से हार हुई थी। बावजूद इसके, ट्रंप उस राज्य में राष्ट्रपति चुनाव जीत गए थे। इसलिए यह कह सकते हैं कि देश की सर्वोच्च अदालत 2016 का चुनाव लड़ने का आदेश ट्रंप को यदि दे देती है, तो कोलोराडो के मतों की जरूरत शायद उन्हें न पड़े।
यों, डोनाल्ड ट्रम्प रिपब्लिकन-झुकाव वाले 52 फीसद स्वतंत्र पंजीकृत मतदाताओं की पहली पसंद हैं। जब इसकी रायशुमारी हुई, रॉन डीसेंटिस को 14 प्रतिशत, निक्की हेली को 11 प्रतिशत, विवेक रामास्वामी को तीन फीसद और क्रिस क्रिस्टी को केवल एक प्रतिशत स्वतंत्र पंजीकृत मतदाताओं ने क्रमवार पसंद किया था। इसलिए ट्रंप पर संघीय सुप्रीम कोर्ट की गाज़ यदि गिरती है, तो रॉन डीसेंटिस और निक्की हेली का नंबर क्रमशः आता है। लेकिन ये दोनों रिपब्लिकन के कमज़ोर प्रत्याशी साबित होंगे। डेमोक्रेट ऐसा ही चाह रहे हैं, ताकि 2024 के चुनाव में अब तक के सबसे बुजुर्ग प्रत्याशी जो बाइडेन दोबारा से ताज हासिल कर लें।
वैसे, पीईडब्ल्यू रिसर्च सेंटर का एक सर्वे दिलचस्प है, जिसमें पता चला कि हाई स्कूल या उससे कम शिक्षा वाले 66 प्रतिशत रिपब्लिकन मतदाता डोनाल्ड ट्रम्प का समर्थन करते हैं, जबकि हाई स्कूल की डिग्रियों वाले 53 फीसद, चार साल की कॉलेज उच्च डिग्री वाले 37 प्रतिशत और स्नातकोत्तर डिग्री वाले 34 फीसद मतदाता डोनाल्ड ट्रम्प का समर्थन करते हैं। यानी, उच्च शिक्षित लोग ट्रम्प को उतना पसंद नहीं करते।
सबके बावज़ूद, साल 2024 ट्रम्प के लिए सहज नहीं है। ट्रम्प के खिलाफ शुरू होने वाले मुकदमों में वो फैमिली बिजनेस है, जिसमें उनके बेटे धोखाधड़ी के मामले में संलिप्त पाये गये थे। फैमिली बिजनेस वाले गड़बड़झाले में ट्रम्प भी शामिल हैं। ट्रम्प के विरुद्ध 2020 चुनाव हारने के दौरान गुंडई करने, यौन उत्पीड़न और मानहानि का मुकदमा भी है। न्यायाधीश ने निष्कर्ष निकाला कि ट्रम्प ने महिला स्तंभकार के साथ अनुचित संबंध बनाए और फिर इससे इनकार किया। वर्ष 2024 के मुकदमे में यह तय होना है कि ट्रंप को लेखिका को बदनाम करने के लिए कितना भुगतान करना होगा। सबके बावज़ूद ट्रम्प को भारत का एक बड़ा हिस्सा पसंद करता है। उसकी वजह है, हाउडी मोदी।

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लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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