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सफर के हमसफर

05:51 AM Dec 02, 2024 IST
सफर के हमसफर
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ज्ञानदत्त पांडेय

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बहुत कम ही लोग अब मिलते हैं जो मुझे पहली बैठक-मुलाकात में ही प्रभावित करते हैं। विजय उनमें से एक निकले। मुझे उनसे मिलना था और मैं कोई बातचीत का योजक नहीं सोच पा रहा था। वे सज्जन निर्माण में लगे ठेकेदार हैं और मैं एक रिटायर्ड नौकरीपेशा। दोनों में क्या बातचीत हो सकती है? ईंट-गारा-सीमेंट-संगमरमर से मेरा कोई वास्ता नहीं रहा। उनसे क्या बात करूंगा? ब्लॉग और पुस्तकें, नदी और साइकिल– ये विषय हर किसी को आकर्षित नहीं करते। बैठे ठाले को भले करते हों, किसी कामकाजी आदमी को तो नहीं ही कर सकते। मैं अपने को विजय से मुलाकात के लिये मिसफिट पाता था पर विजय जी ने मुझे मेरी खोल में से खींच निकाला। और उनके साथ तीन-चार घंटे की बातचीत यादगार बन गयी।
विजय गंगा किनारे कोसम गांव के हैं जो ऋग्वैदिक काल में भारत का एक महाजनपद हुआ करता था। मैं जिन गिने-चुने प्राचीन स्थलों का भ्रमण करना चाहूंगा उनमें प्रमुख है कौशाम्बी।… मैं कल्पना करता हूं कि किसी पिकअप वाहन में अपनी साइकिल लाद कर प्रयागराज उतरूंगा और वहां से कौशाम्बी तीन-चार दिन में खरामा खरामा साइकिल से घूमूंगा। कुछ उसी तरह जैसे पास के अगियाबीर टीले पर जाता रहा हूं। उसके बाद इसी तरह मुजफ्फरपुर जा कर वैशाली के भग्नावशेष देखने की साध है। कोसम खिराज नामक इस गांव को मैं नक्शे में तलाशता हूं तो गांव के दो किमी परिधि में नजर आते हैं।
मैं जानता हूं कि मैं विजय जी के किसी काम का नहीं। नौकरशाही में अपने पूर्व पद पर होता तो शायद उन्हें मुझमें सहज रुचि होती। पर बीता समय कहां लौटता है। फिर भी मुझमें कुछ आकर्षण शायद उन्हें नजर आया और मेरा हाथ अपने हाथ में ले कर कुछ समय मुझसे बोले बतियाये। यह भी कहा कि मुझे अपना गांव दिखाने घुमाने के लिये शीघ्र ही प्रबंध करेंगे। क्या पता वे ही निमित्त हों मेरी भारत के अतीत दर्शन की स्वप्न यात्रा को यथार्थ रूप देने में।
मेरे पास डिनर के पूरे समय बैठे विजय बड़े धैर्य से धीरे-धीरे भोजन करते समय मुझसे बातचीत करते रहे। कोई उकताहट नहीं थी उनमें। इतनी तवज्जो मुझे बहुत अर्से बाद किसी ने दी थी। पुरातन स्थलों को देखने का स्वप्न है मेरा। पाउलो कोहेलो की किताब में मुझे मिला था कि अगर कोई स्वप्न हम गहरे से देखते हैं तो प्रकृति पूरी तरह साथ देती है। प्रकृति शायद विजय जी के माध्यम से साथ देने को तत्पर हुई है। उन्हीं के सौजन्य से यमुना का तट और भारत के एक महत्वपूर्ण महाजनपद का अतीत दर्शन प्रारम्भ होगा।
साभार : ज्ञानदत्त डॉट कॉम

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