धैर्य के साथ अतिरिक्त प्रयासों से शीर्ष सफलता
सीताराम गुप्ता
पिछले दिनों एक प्रतियोगिता में सम्मिलित होने का अवसर मिला। प्रतियोगिता में विजेताओं को पुरस्कार भी दिए गए। प्रथम पुरस्कार दस हजार रुपये का व द्वितीय पुरस्कार पांच हजार रुपये का था। एक-एक हजार रुपये के तीन तृतीय पुरस्कार भी थे। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले अधिकांश प्रतिभागियों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। कई दर्जन लोगों में से पांच विजेताओं का चयन किया गया। मजे की बात ये है कि प्रथम पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति को पुरस्कार स्वरूप द्वितीय पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति से दोगुनी राशि मिली। प्रश्न उठता है कि क्या प्रथम स्थान पर आने वाले व्यक्ति की योग्यता, प्रयास अथवा प्रदर्शन द्वितीय स्थान पर रहने वाले व्यक्ति की योग्यता, प्रयास अथवा प्रदर्शन से दोगुना ही था? नहीं, बिलकुल नहीं। मूल्यांकन तालिका को देखने पर पता चला कि प्रथम स्थान पर आने वाले व्यक्ति ने सौ में से पिच्यानवे अंक प्राप्त किए थे जबकि द्वितीय स्थान पर आने वाले व्यक्ति ने चौरानवे अंक प्राप्त किए थे। अंकों में बहुत कम अंतर था लेकिन प्राप्त राशि में बहुत अधिक अंतर था। जीवन के हर क्षेत्र में यही होता है।
केवल थोड़े से तापमान के अंतर से पानी भाप बन जाता है और भाप द्वारा बड़ी-बड़ी मशीनों को आसानी से चलाया जा सकता है। पानी को बर्फ बनाने के लिए भी बर्फ जैसे ठंडे पानी को केवल थोड़े से तापमान के अंतर की आवश्यकता होती है। जीवन में थोड़े से परिवर्तन से हम उसे बहुत बेहतर बना सकते हैं। सबसे ऊपर रहने वाला व्यक्ति शेष व्यक्तियों से बस थोड़ा-सा ही तो अधिक करता है। यह थोड़ा-सा अधिक ही हमें सबसे अच्छी स्थिति में ला देता है। जो लोग अपने साथ के लोगों से थोड़ा-सा अधिक परिश्रम अथवा प्रयास करने में अपनी पूरी शक्ति लगा देते हैं, सबसे ऊपर वाले पायदान पर जा पहुंचते हैं। ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ी भी बस अपने साथ भाग लेने वाले लोगों से थोड़ा-सा ही बेहतर करते हैं और पदक हासिल कर लेते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि पदक हासिल करने वाले बरसों तक कड़ी मेहनत और अभ्यास करते हैं तब कहीं जाकर पदक हासिल कर पाते हैं। बिलकुल ठीक बात है कि पदक हासिल करने वाले बरसों तक कड़ी मेहनत और अभ्यास करते हैं।
लेकिन वास्तविकता ये भी है कि जीतने वाले ही नहीं पीछे रह जाने वाले भी बरसों तक कड़ी मेहनत और अभ्यास करते हैं। जीत वास्तव में उन्हीं को मिलती है जो औरों से कुछ बेहतर कर पाते हैं। केवल थोड़ा-सा बेहतर। यदि हम जीवन के किसी भी क्षेत्र में सामान्य से पांच-सात प्रतिशत अधिक परिश्रम करने लगें अथवा कार्य में वर्तमान से थोड़ा अधिक समय देने लगें अथवा अपेक्षाकृत कुछ अधिक ध्यानपूर्वक व जिम्मेदारी से कार्य करने लगें तो संभव है हम अपने वर्तमान स्तर से कई गुणा ऊपर उठ जाएं। हम बहुत अच्छे हैं, हमारा व्यवहार भी बहुत अच्छा है ये बहुत अच्छी बातें हैं लेकिन इसी अच्छाई को हम थोड़ा और बेहतर बना लें तो जीवन में क्रांति घटित हो जाए। कई बार हम उस बिंदु पर आकर रुक जाते हैं जहां हमें बस थोड़ा-सा और अधिक करना होता है। उस बिंदु की पहचान अनिवार्य है। जीवन के हर क्षेत्र में उस बिंदु की पहचान का बड़ा महत्व होता है। हम प्रायः अपनी मंज़िल के निकट पहुंचकर ही हथियार डाल देते हैं। एक अंतिम प्रयास अथवा अभ्यास हमें जीवन के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाने में सक्षम होता है।
हमारी सही परीक्षा विषम परिस्थितियों में अथवा जरूरत के समय होती है। किसी के दुख-सुख में अपेक्षाकृत देर तक साथ रहने वाला व्यक्ति ही हमेशा के लिए अच्छे संबंधों को सुनिश्चित कर लेता है। अच्छा व्यवहार व अच्छे संबंध ही जीवन में सफलता प्रदान करने में सबसे अधिक सहायक होते हैं इसमें संदेह नहीं। कहा गया है कि बेकार से बेगार भली। काम न होने की स्थिति में मुफ्त में या कम पैसे में काम करना और अच्छी तरह काम करना भी लाभदायक ही होता है। इससे एक ओर तो लगातार काम करते रहने से हमारी काम करने की आदत और कार्यकुशलता बनी रहती है और निरंतर कार्य करने से हमारी कुशलता में वृद्धि भी होती रहती है। इसका हमारे भावी जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक कोई भी योग्य अथवा कार्यकुशल व्यक्ति उपेक्षित नहीं रह पाता। समय आने पर उसकी योग्यता का सही मूल्यांकन अवश्य होता है। औरों की अपेक्षा थोड़ा अधिक धैर्य भी एक दिन सभी क्षतिपूर्ति करने में सक्षम होता है।
हम जहां पर अपना व्यवसाय करते हैं यदि हम वहां औरों से कुछ अच्छा कार्य अथवा कुछ अधिक देर तक कार्य करेंगे तो इससे हमारे व्यवसाय में बढ़ोतरी ही होगी। यदि हम कार्य अथवा नौकरी करते हैं तो भी वहां औरों से कुछ अच्छा कार्य करेंगे अथवा कुछ अधिक देर तक कार्य करेंगे तो इससे नियोक्ता को प्रसन्नता होगी। उससे न केवल हमारे संबंध अच्छे बनेंगे अपितु अधिक कार्य करने के पुरस्कार के रूप में भी कुछ न कुछ अवश्य मिलेगा। यदि और कुछ नहीं मिलेगा तो प्रशंसा तो मिलेगी ही। यह क्या कम उपलब्धि है? यदि प्रशंसा भी नहीं मिलेगी तो कार्य को उत्कृष्टतापूर्वक करने व अधिक कार्य करने की प्रसन्नता तो अवश्य मिलेगी। प्रायः हम हर कार्य प्रसन्नता के लिए ही तो करते हैं। नौकरी अथवा व्यवसाय से पैसा मिलता है और पैसे से प्रसन्नता मिलती है। यदि बिना पैसों के प्रसन्नता मिले तो हम उसकी कद्र नहीं करते। जीवन में कुछ अधिक व कुछ बेहतर करके प्रसन्नता पाना अधिक पैसे कमाने से भी बढ़कर होता है यह जानने में देर नहीं करनी चाहिए। जिस दिन यह समझ जाएंगे, हमें अपनी रुचि के क्षेत्र में सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने से कोई नहीं रोक सकेगा।