जेनेटिक्स डिफेक्ट से बचने के लिए नजदीकी रिश्तेदार से न करें शादी : डॉ. सुमन
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 8 अक्तूबर
डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेज यूटी ने रविवार को ट्राइसिटी पेरिनेटोलॉजी मीट का उद्घाटन किया। ऑब्सटेट्रिक्स व नियोनेटोलॉजी के क्षेत्र में लेटेस्ट एडवांसमेंट, हाई रिस्क प्रेगनेंसी, प्रीमेच्योर बर्थ व जेनेटिक्स पर मंथन के लिए उत्तर भारत के लगभग 100 स्पेशलिस्ट एकत्र हुए। इस मौके पर डॉ सुमन ने कहा कि समय के साथ-साथ एडवांसमेंट मेडिकल फील्ड की जरूरत है, ऐसे कार्यक्रम डॉक्टर के ज्ञानवर्धन में लाभदायक होते हैं। डॉ. सुमन ने कहा कि जेनेटिक्स डिफेक्ट से बचने के लिए नजदीकी रिश्तेदार आपस में शादी न करें व थैलासीमिया माइनर की जांच करवाएं।
आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ नीरज व डायरेक्टर मदरहुड चैतन्य अस्पताल ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में ही हम सब मिलकर जेनेटिक्स ,फीटल मेडिसिन व हाई रेसोल्यूशन अल्ट्रासाउंड के बारे में मिलकर मंथन कर सकते हैं । डॉ. हरप्रीत ने कहा कि 100 में से लगभग एक या दो बच्चों को होता जेनेटिक डीफैक्ट्स होते है। उन्होंने बताया कि यदि किसी फैमिली में जेनेटिक्स की हिस्ट्री हो तो उन्हें प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले ही विशेषज्ञ से काउंसलिंग के लिए मिल लेना चाहिए। अल्ट्रासाउंड का प्रेगनेंसी में विशेष महत्व है। जैसे ही प्रेगनेंसी का पता लगे तो पहले अल्ट्रासाउंड तभी हो जाना चाहिए और 20 हफ्ते से पहले पहले जेनेटिक्स की स्क्रीनिंग भी हो जानी चाहिए ताकि कोई भी बर्थ डिफेक्ट छूट न जाये । प्रेग्नेंसी प्लान से पहले स्पेशलिस्ट को मिलना चाहिए। प्रेगनेंसी का पता लगता ही करवा कंफर्मेटरी अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए।
गर्भावस्था से जुड़ी गलतफहमियां
प्रेग्नेंट महिलाओं को तो डॉक्टर से ज्यादा नसीहतें परिवार वाले देते हैं। अनुभव से सीखी दादी-परदादी की बातें कई बार काम की होती हैं, लेकिन हर नसीहत को मानने की जरूरत नहीं या फिर अल्ट्रासाउंड के काफी साइड इफेक्ट होते है। गर्भावस्था में सटीक जांच के लिए नॉन-इनवोसिव प्रीनेटल टेस्टिंग (एनआईपीटी) भी आवश्यक है जो शिशु के जन्म से काफी पहले डाउन सिंड्रोम जैसी असामान्य क्रोमोसोम संबंधी गड़बड़ियों का पता लगाने का प्रभावी, सटीक और सुरक्षित तरीका साबित होगा।