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ब्रेस्ट कैंसर: महिलाओं के लिए गंभीर चुनौती

08:00 AM Oct 06, 2024 IST
ब्रेस्ट कैंसर  महिलाओं के लिए गंभीर चुनौती
चंडीगढ़ में पत्रकारवार्ता में जानकारी देते में लिवासा अस्पताल मोहाली के मेडिकल डॉ. डॉ. जतिन सरीन ए डॉ. प्रियांशु चौधरी और डॉ. मीनाक्षी मित्तल। -ट्रिब्यून फोटो
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चंडीगढ़, 5 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
स्तन कैंसर लगातार बढ़ रहा है और सर्वाइकल कैंसर को पीछे छोड़ते हुए आज की सबसे आम और घातक जानलेवा बीमारी बन गया है। हर साल स्तन कैंसर से 2.1 मिलियन महिलाएं प्रभावित होती हैं, और भारत में प्रति वर्ष 1.90 लाख नए मामले सामने आते हैं। चंडीगढ़ में आयोजित पत्रकार वार्ता में लिवासा अस्पताल, मोहाली के मेडिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ. जतिन सरीन ने कहा कि कुछ दशक पहले, भारत में स्तन कैंसर के लगभग 65-70% मामले 50 वर्ष की आयु के बाद पाए जाते थे। लेकिन अब 25-60 वर्ष की आयु के लगभग 50 प्रतिशत मामलों में स्तन कैंसर की पुष्टि होती है, जिसमें से 60 प्रतिशत से अधिक मामले एडवांस स्टेज में होते हैं।
सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ. विजय बंसल ने बताया कि स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता बहुत जरूरी है। सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन और मैमोग्राफी जैसी सरल तकनीकों से शुरुआती चरण में इसका पता लगाया जा सकता है। लेकिन एक सर्वेक्षण के अनुसार, 75% भारतीय महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की जांच से कतराती हैं।
कैंसर के बढ़ते आंकड़े : रेडिएशन ऑन्कोलॉजी की निदेशक डॉ. मीनाक्षी मित्तल ने बताया कि 2025 तक भारत में कैंसर के मामलों की संख्या बढ़कर 29.80 मिलियन तक पहुंचने की संभावना है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय समाज में अभी भी कैंसर को एक कलंक के रूप में देखा जाता है, और ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाएं इसे अपने परिवार और दोस्तों से साझा करने में हिचकिचाती हैं।

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देर से निदान एक बड़ी चुनौती

कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. प्रियांशु चौधरी ने चिंता जताई कि भारत में अधिकांश ब्रेस्ट कैंसर के मामलों का निदान बहुत देर से होता है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, 60% से अधिक भारतीय महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का निदान चरण तीन या चार में होता है, जिससे जीवित रहने की दर और उपचार के विकल्प सीमित हो जाते हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण : ब्रेस्ट में गांठ, निप्पल डिस्चार्ज, ब्रेस्ट की त्वचा का मोटा होना, ब्रेस्ट के किसी भी हिस्से में लालिमा और सूजन, निप्पल का उल्टा होना, आर्मपिट में गांठ।
जोखिम कारक : परिवार का इतिहास,उम्र, आहार और जीवनशैली, रेडिएशन एक्सपोजर, मोटापा व एस्ट्रोजन एक्सपोजर।

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