मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

सबरी और केवट के अंगीकार का वक्त

06:51 AM Jan 18, 2024 IST
Advertisement

शमीम शर्मा

‘मंदिर वहीं बनायेंगे पर तारीख नहीं बतायेंगे।’ एक समय था जब यह नारा खूब गूंजा। अब तो तारीख भी घोषित हो चुकी है। मेरी समझ में नहीं आ रहा कि राममंदिर की डेट और राफेल का रेट पूछने वाले अब क्या सवाल दागेंगे? क्या यह पूछेंगे कि पीओके हमारी मुट्ठी में कब होगा या एक सिविल कोड कब लागू होगा? हरियाणवी में कहते हैं कि थ्यावस राखो, सब किमें हो ज्यैगा। यानी सब्र करो सब हो जायेगा।
भारत में राम के प्रति आस्था इतनी प्रगाढ़ है कि लोगों ने अपने बेटे के नाम के पीछे ही राम लगा दिया। जैसे मंगतराम, संतराम, कुरड़ाराम, अभिराम आदि। अभिवादन करने में भी कहा जाता है- राम-राम। किसान को जब पानी की जरूरत होती है तो वह भी हाथ ऊपर उठाकर पूछता है- रामजी कद बरसैगा? गांधीजी के मुख से भी अंतिम शब्द निकले थे- हे राम! और आम हिन्दू यही मानता है कि होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
तरह-तरह के विवादों के बीच विध्वंस के एक ऐतिहासिक पन्ने पर नवनिर्माण की गाथा लिखी जा चुकी है। अब प्राण-प्रतिष्ठा व उद्घाटन के साक्षी बनने की घड़ी निकटतम आ गई है। शबरी व केवट जैसे आमजन के साथ जुड़कर राम का उद्घोष था कि कोई छोटा-बड़ा नहीं है और इस मंदिर के निर्माण में हर वर्ग, धर्म और जाति के लोगों का योगदान भी यही दर्शाता है।
राम मंदिर के न्योते पर जितनी राजनीति हो रही है, उसे देखकर राम भी सोचते होंगे कि लंकापति से लड़ना इतना कठिन नहीं था पर अपने ही देश में नेताओं की गुटबाजी से जूझना जानलेवा है। राम सबके हैं, जन-जन के हैं, उनके आगमन पर सर्वत्र हर्ष ही होना चाहिए।
राम शब्द संस्कृत की ‘रम‍्’ धातु से बना है जिसका अर्थ है- रमना। सकल ब्रह्मांड के कण-कण में जो रमा हुआ है, उसे ही राम कहा जाता है। कहा तो यह भी जा रहा है कि इधर अयोध्या में राम आ रहे हैं और उधर आतंकी धमकियां भी साथ-साथ आ रही हैं। राम जी भी जानते हैं कि अब हिंदुस्तान इन गीदड़ धमकियों से डरता नहीं है क्योंकि अब उसने दहाड़ना सीख लिया है।
आज हर जन अपने घर-मंदिर को गुलशन बनाने की जुगत में है। हर मुख पर राम है। बस विपक्षी नेताओं को राम मंदिर की विजय गाथा गले नहीं उतर रही है।
000
एक बर की बात है अक नत्थू नैं सुरजे तै बूज्झी- हां रै न्यूं बता अक मंदिर मैं मूर्तियां तो देवी-देवता दोन्नूं की धरी जावैं हैं पर पुजारी आदमी ही क्यां खात्तर बनाये जावैं हैं? सुरजा उस ताहीं समझाते होये बोल्या- ताकि लोग भगवान जी पै ध्यान दे सकैं।

Advertisement

Advertisement
Advertisement