यमुना में दो सगे भाइयों सहित 3 श्रद्धालु डूबे, दो के मिले शव
पानीपत, 5 अगस्त (हप्र)
यमुना नदी में अमावस्या के मौके पर स्नान करने गये दो सगे भाईयों सहित तीन श्रद्धालु रविवार को गहरे पानी में डूब गये थे और शाम तक भी उनके शवों का कोई सुराग नहीं लग पाया था। गोताखोरों की टीम ने सोमवार को यमुना नदी में तीनों श्रद्धालुओं के शवों की तलाश को लेकर फिर से सर्च अभियान शुरू किया गया। गोताखोरों की टीम ने करीब तीन किमी की दूरी पर राजस्थान के जिला सीकर के गांव बाय खाटूश्याम थाना निवासी महेश (25) व गांव बलाई सीकर निवासी लोकेश (34) के शव तैरते हुए मिले और उनको यमुना से बाहर निकाल लिया गया। हालांकि अभी तीसरे श्रद्धालु की तलाश जारी है और शाम तक भी उसका शव बरामद नहीं हो पाया है। दोनो श्रद्धालुओं के शव सोमवार को प्राइवेट गोताखोर मुस्तकीम उर्फ बिल्लू, दिलशाद, साजिद, जाहिद, व मासूम आदि ने यमुना से निकाले।
गोताखोर खुद रोजी-रोटी के मोहताज
पानीपत जिला में यमुना नदी में सनौली घाट पर स्नान करते हुए सालभर में औसतन 10 से 15 श्रद्धालु डूबते हैं और सैकड़ों श्रद्धालुओं को सकुशल प्राइवेट गोताखोरों द्वारा बाहर निकाल लिया जाता है। यमुना में डूबने वालों को बाहर निकालने वाले गोताखोरों में सनौली खुर्द के सामने यूपी के गांव मवी के रहने वाले गोताखोर मुस्तकीम उर्फ बिल्लू , उसका सहायक दिलशाद व उनकी पूरी टीम शामिल है। मुस्तकीम उर्फ बिल्लू ने बताया कि वह पिछले करीब 22 सालों से गोताखोर के रूप में काम कर रहा है। मुस्तकीम उर्फ बिल्लू के सहायक दिलशाद का कहना है कि वह भी करीब 16 सालों से गोताखोर है। ये प्राइवेट गोताखोर यमुना में बने गहरे कुंडों में से 25-30 फीट की गहराई से भी शवों की तलाश करके उनको बाहर निकाल लेते हैं जबकि सरकारी गोताखोर मोटर बोट से ही शवों की तलाश करते हैं। इन गोताखोरों को केवल सावन माह में ही कांवड़ के सीजन के दौरान करीब 10 दिनों तक यूपी की कैराना पंचायत परिषद द्वारा काम दिया जाता है और बाकि सालभर ये यमुना तलहटी में सब्जियां आदि की खेती करके व मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते है।