ट्रिब्यूनल के अभाव में हजारों मामले लटके, व्यापारी परेशान
विवेक बंसल/हप्र
गुरुग्राम,16 जून
आबकारी और कराधान विभाग से संबंधित व्यापारियों और उद्यमियों के विवादों का निपटारा करने के लिए प्रदेश में 5 साल में भी ट्रिब्यूनल का गठन नहीं हो पाया है। हजारों मामले अदालतों में लंबित पड़े हैं और इसके चलते व्यापारी और उद्यमी परेशान हैं।
बड़ी कंपनियों के आयकर एवं कराधान अधिवक्ता (जीएसटी) राजेश कुमार सूटा (83) का कहना है कि प्रदेश स्तर पर यह ट्रिब्यूनल 5 साल पहले गठित हो जाना चाहिए था। इसमें पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज ,एक टेक्निकल एक्सपर्ट और एक वरिष्ठ अधिवक्ता सदस्य प्रतिनिधि होता है।
इस ट्रिब्यूनल से पुराने चले आ रहे वैट और फिलहाल जीएसटी के हजारों मामले सुलझाने का प्रावधान है। इन मामलों को जल्दी से सुलझा कर सरकार के खजाने को और पैसा मिल सकता है।
गुरुग्राम में आबकारी और कराधान विभाग के विवादित मामलों की अपील सुनने के लिए ज्वाइंट कमिश्नर केएस मालिक की नियुक्ति तो कर दी गई है, लेकिन उनके पास फरीदाबाद से गुरुग्राम की फ़ाइल न आने के कारण पुराने मामले सुनवाई से वंचित है, खास तौर पर पुराने वैट से संबंधित मामले लंबित हैं।
उल्लेखनीय है कि पहले फरीदाबाद में गुरुग्राम और फरीदाबाद जिलों का संयुक्त रूप से अपीलेट अथॉरिटी थी। लगभग 2 माह पहले ही गुरुग्राम में अपील सुनवाई कर्ता नियुक्त हुआ है।
वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार सूटा ने ट्रिब्यूनल गठित न होने के कारण भोजन पर सर्विस टैक्स देने के बावजूद कराधान विभाग द्वारा सर्विस टैक्स पर वैट मांगे जाने के जिला अधिकारियों के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में एक अपील दायर की थी। हाईकोर्ट की न्यायाधीश रितु बहरी और मनीषा बत्रा की बेंच ने फैसला दिया था कि भोजन की सप्लाई पर सर्विस टैक्स के अलावा वैट नहीं लिया जा सकता। अदालत ने इसके साथ ही जिला कराधान अधिकारी के आदेश पर रोक लगा दी थी।
प्रदेश में कराधान विभाग द्वारा जारी किये जा रहे नोटिस के खिलाफ अदालतों में मामले चल रहे हैं। यदि ट्रिब्यूनल गठित होता तो यह मामला ट्रिब्यूनल में ही निपट जाता। लेकिन हाईकोर्ट ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया है कि भोजन पर सर्विस टैक्स के अलावा वैट नहीं लिया जा सकता। यह मामला एक उदाहरणभर है। इससे संबंधित फर्म को कई करोड़ के नुकसान का बचाव हो गया लेकिन ऐसे बहुत से मामले हैं जिनमें कराधान विभाग वैट वसूल रहा है और आखिर में यह उपभोक्ताओं की जेब से लिया जा रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार सूटा का कहना है कि ऐसे लाखों मामले हैं जिनमें सरकार ने वैट वसूल लिया है और ऐसे और बहुत मामले हैं जिनमें व्यापारी वैट नहीं देना चाहता और वे विवादित हैं।
हरियाणा कराधान बार के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि ट्रिब्यूनल का न होना या अपीलेंट अथॉरिटी के ठीक ढंग से काम न हो पाने के कारण विभाग में व्यापारियों और उद्यमियों की फर्मों से अनाप-शनाप वसूली हो रही है। इस कारण से हजारों मामले पेंडिंग है और कानूनी दांवपेच में उलझे हैं। इस कारण सरकार के खजाने को उचित राजस्व भी नहीं मिल पा रहा है। यदि सरकार जल्द से जल्द ट्रिब्यूनल का गठन कर दें तो इससे हजारों व्यापारियों और उद्यमियों को राहत मिलेगी।
‘गठन की कार्रवाई जल्द होगी पूरी’
आयकर विभाग के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी और अब प्रदेश सरकार द्वारा आबकारी व कराधान विभाग में नियुक्त प्रिंसिपल सेक्रेट्री डीएस कल्याण का कहना है कि हरियाणा में ट्रिब्यूनल गठित करने की प्रक्रिया की रही है और इसके लिए जल्दी ही कार्यवाही पूरी हो जाएगी।
फरीदाबाद से मंगवाई वैट से संबंधित फाइलें
गुरुग्राम में 2 माह पहले नियुक्त कराधान विभाग के अपीलेट अथॉरिटी ज्वाइंट कमिश्नर केएस मलिक का कहना है कि फरीदाबाद से वैट की फाइलें मंगवाई जा रही हैं। दोनों जिलों की संयुक्त रूप से सुनवाई के दौरान लंबित फाइलों का बंटवारा करने के लिए कानूनी अधिकारी काम कर रहे हैं और यह जल्दी ही पूरा हो जाएग। ताजा मामलों की सुनवाई तेजी से शुरू हो चुकी है।