सोनीपत में इस बार कड़ा मुकाबला, सभी सीटों पर घमासान
ग्राउंड जीरो
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
सोनीपत, 30 सितंबर
सोनीपत जिले के अंतर्गत आने वाली विधानसभा की सभी छह सीटों पर कड़ा मुकाबला हो रहा है। कहीं आमने-सामने की टक्कर है तो कहीं त्रिकोणीय फाइट है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के प्रभाव वाले इस इलाके में दोनों ही पार्टियों- कांग्रेस व भाजपा को पसीना बहाना पड़ रहा है। कड़ी टक्कर के चलते हेवीवेट नेताओं के भी पसीने छूट रहे हैं। सबसे रोचक जंग गन्नौर सीट पर बनी हुई है।
यहां भाजपा के बागी युवा चेहरे देवेंद्र सिंह कादियान ने कांग्रेस व भाजपा के समीकरण बिगाड़े हुए हैं। कांग्रेस के टिकट पर हेवीवेट नेता और पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, भाजपा ने सोनीपत से पूर्व सांसद रमेश चंद्र कौशिक के भाई देवेंद्र कौशिक को टिकट दिया है। देवेंद्र कादियान भाजपा के टिकट के दावेदारों में थे। देवेंद्र कौशिक को टिकट मिलने के बाद देवेंद्र कादियान ने बगावत का झंडा उठा लिया। लंबे समय से हलके में सक्रिय रहे देवेंद्र कादियान अब निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
देवेंद्र कादियान के मैदान में आने के बाद ही गन्नौर की सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है। भाजपा व कांग्रेस से ब्राह्मण उम्मीदवार हैं। वहीं, निर्दलीय चुनाव लड़ रहे देवेंद्र कादियान जाट हैं। गन्नौर सीट पर जाट मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है। जाट वोटर हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। फिलहाल इस सीट पर तीनों ही प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर बनी हुई है। हार-जीत को लेकर कुछ भी कह पाना नामुमकिन है। हालांकि, मतदान से दो दिन पहले अकेले गन्नौर ही नहीं बल्कि बाकी हलकों में भी माहौल बदलने की संभावना बनी रहेगी।
सोनीपत शहर की सीट पर भी मुकाबला देखने वाला बना हुआ है। कभी एक ही पार्टी में रहे और पुराने दोस्त रहे सुरेंद्र पंवार और निखिल मदान इस बार आमने-सामने हैं। कांग्रेस ने मौजूदा विधायक सुरेंद्र पंवार को टिकट दिया है। भाजपा ने पूर्व मंत्री कविता जैन का टिकट काटकर सोनीपत नगर निगम के मेयर निखिल मदान को प्रत्याशी बनाया है। सीएम के पूर्व मीडिया एडवाइजर राजीव जैन ने पत्नी की टिकट कटने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भर दिया था। बाद में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने जैन दंपति से मुलाकात कर उनका नामांकन-पत्र वापस करवा दिया। सोनीपत की सीट पर सुरेंद्र पंवार और निखिल मदान में सीधी टक्कर है। सुरेंद्र पंवार के खिलाफ ईडी ने भी कार्रवाई की थी। वे सलाखों के पीछे भी रहे। लेकिन बाद में कोर्ट ने उन्हें रिहा कर दिया। राई विधानसभा क्षेत्र में भाजपा टिकट पर पूर्व मंत्री कृष्णा गहलोत चुनाव लड़ रही हैं। हेवीवेट कृष्णा के सामने कांग्रेस ने जयभगवान आंतिल को टिकट दिया है। पूर्व विधायक जयतीर्थ दहिया ने टिकट कटने के बाद कांग्रेस छोड़ दी।
गोहाना में जगबीर बनाम अरविंद
करनाल, सोनीपत व रोहतक से सांसद रहे चुके डॉ़ अरविंद शर्मा गोहाना से भाजपा उम्मीदवार हैं। इस बार वे रोहतक लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने चुनाव हार गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजदीकी नेताओं में शामिल अरविंद शर्मा को गोहाना से टिकट देकर भाजपा ने यहां गैर-जाट कार्ड चला है। वहीं, कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक जगबीर सिंह मलिक को ही टिकट दिया है। जगबीर मलिक और अरविंद शर्मा के बीच इस सीट पर कड़ा मुकाबला बना हुआ है।
बरोदा में कपूर सिंह नरवाल ने बिगाड़े समीकरण
जाट बहुल बरोदा हलके में कांग्रेस के बागी कपूर सिंह नरवाल ने समीकरण बिगाड़ दिए हैं। कांग्रेस ने सिटिंग विधायक इंदूराज नरवाल ‘भालू’ को टिकट दिया है। कपूर सिंह नरवाल कांग्रेस के टिकट के मजबूत दावेदारों में थे। लेकिन कांग्रेस में सिटिंग-गैटिंग फार्मूले के चलते भालू का टिकट कंफर्म हो गया। इससे आहत नरवाल निर्दलीय चुनावी मैदान में आ डटे। कपूर सिंह नरवाल की इलाके में पहचान भी है और पकड़ भी। वहीं, भाजपा ने पूर्व सांसद किशन सिंह सांगवान के बेटे प्रदीप सांगवान को उम्मीदवार बनाया है। बरोदा सीट में कपूर सिंह नरवाल बड़ा फैक्टर बनकर उभरे हैं। ऐसे में इस सीट पर भी दिलचस्प चुनाव हो रहा है।
खरखौदा में आमने- सामने का मुकाबला
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित खरखौदा हलके में कांग्रेस और भाजपा के बीच आमने-सामने की टक्कर है। कांग्रेस ने यहां से तीन बार के विधायक जयवीर सिंह वाल्मीकि पर भरोसा जताया है। वहीं, भाजपा ने जननायक जनता पार्टी छोड़कर आए पवन खरखौदा को मैदान में उतारा है। पवन खरखौदा ने 2019 के चुनाव में जजपा टिकट पर वाल्मीकि को कड़ी टक्कर दी थी। इस चुनाव में पवन महज 1544 मतों के अंतर से हारे थे। 2019 के चुनावों में भाजपा टिकट पर मीना रानी ने 20 हजार 542 वोट लिए थे। खरखौदा की सीट पर हो रही सीधी भिड़ंत की वजह से यहां का चुनाव बुरी तरह से फसा हुआ दिख रहा है।