इस बार चल निकला मिट्टी के दीये, बर्तनों का काम
जगाधरी, 18 अक्तूबर (हप्र)
पिछले कई साल के मुकाबले मिट्टी के बर्तन, दीये बनाने वालों को इस बार त्योहार के सीजन में धंधा अच्छा होने की संभावना है। कई पीढ़ियों से यह काम कर रहे प्रजापत समाज के लोगों के बच्चे इस धंधे में न के बराबर दिलचस्पी ले रहे हैं। नवरात्र से ही मिट्टी के बर्तनों की मांग ज्यादा होती है। यह कार्तिक पूर्णिमा तक यह चलती है। नवरात्र, दशहरा, करवा, अहोई, दीपावली, गोवर्धन, भैया दूज, कार्तिक पूर्णिमा पर दीये, मिट्टी की झांकरी, करवा, चाटी, हांडी, जमदीया की पूजा में आदि पड़ती है। शादियों में भी पूजा में इनकी जरूरत होती है।
दड़वा के 80 वर्षीय सत्तू प्रजापति के हाथ इस उम्र में भी बर्तन बनाने के लिए मशीन पर तेजी से चलते हैं। सत्तु ने बताया कि उनके पड़दादा ये काम करते थे और वहीं से यह काम किया जा रहा है। बीस वर्ष की उम्र में दादा व पिताजी के साथ मिट्टी का सामान बनाने लगा था। परिवार की चौथी पीढ़ी इस धंधे से जुड़ी है। त्योहारों के सीजन में सभी सामान तैयार करने में लगते हैं।
सत्तू का कहना है कि इस बार मांग ठीक है। इससे धंधा बढ़िया रहने की उम्मीद है। इस काम में अब दिक्कतें भी आ रही हैं। चिक्कन मिट्टी की किल्लत है। उन्हें अम्बाला जिले के कक्कड़ माजरा इलाके से महंगे दाम की मिट्टी मंगवानी पड़ती है। आज भी ज्यादातर लोग मिट्टी से बर्तनों व दीयों को पवित्र मानते हैं। इस काम में मेहनत ज्यादा व आमदनी आज के खर्चों के हिसाब से कम होती है, इसके चलते बच्चे भी इससे दूरी बनाने लगे हैं। वे दूसरे काम -धंधे व नौकरी आदि कर रहे हैं।