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ये दूर के ढोल देश को न सुहावें

06:59 AM Dec 21, 2023 IST

शमीम शर्मा

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स्टेटस सिंबल भी बदलते रहते हैं। कभी बड़ी कार, कभी आईफोन तो कभी विदेशी घड़ियां स्टेटस सिंबल बनते रहे हैं। देश से बाहर जाकर ब्याह रचाना आजकल सबसे बड़ा स्टेटस सिंबल बन गया है। भावी दूल्हा-दुल्हन के मन में एक नई खुरापात रोप दी गई है और वह है- डेस्टिनेशन वेडिंग। जिन्हें डेस्टिनेशन के स्पेलिंग भी नहीं पता, वे भी किसी आईलैंड पर जाकर शादी की शहनाई सुनना चाहते हैं। कुछ भी कहो, प्रधानमंत्री मोदी जी की एक बात की तो हर किसी को तारीफ करनी चाहिये कि वे चाहते हैं कि अपने ही देश में ब्याह रचाओ। मेरा ख्याल है कि उनका इशारा इस तरफ है कि शादी कहीं भी रचाओ, उसका रंग एक-सा ही होगा। कितना ही खर्च लो रिश्तेदारों का मुंह तो फूलना ही फूलना। तो फिर अपने ही देश में शादी करो। कम से कम अपना व्यवसाय तो फले-फूलेगा।
मोदी जी का ध्यान देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया में तीसरे नंबर पर लाने पर है। इस दृष्टि से देखो तो एक शादी में लाखों के सूट-बूट, साड़ी-लहंगे ही खरीदे जाते हैं। खानपान-खातिरदारी और उपहारों का खर्च भी लाखों-करोड़ों को छू जाता है। टैंट-तम्बू, फोटो-फूल, लाइट-साउंड, बैंड-बाजा, रथ-घोड़ी पर भी खर्चा कम नहीं होता। पर देश में शादियां हों तो यह सारा पैसा अपने ही मुल्क में घूमता है। कितनों का कारोबार बढ़ता है और कितनों को रोज़गार मिलता है। दुनिया के दूसरे कोनों में जाकर फेरे लेने का मतलब है कि अपने मुल्क का पैसा दूसरे देशों को लुटाना। पैसे ही नहीं अपने रीति-रिवाजों की भी धज्जियां उड़ जाती हैं।
अगर गंतव्य विवाह करने ही हैं तो अपने देश में पुराने किलों-महलों से लेकर समुद्रतट, पहाड़ी स्थानों पर स्थित फाइव स्टार होटलों से लेकर बाग-बगीचों तक के विशाल क्षेत्र उपलब्ध हैं। फिर विदेशी फ्लाइट पर पैसे क्यूं फूंकने हैं। सौ टके का सवाल है कि जिसने डेस्टिनेशन वैडिंग की उसने भी क्या हासिल कर लिया और जिसने अपने ही गांव की धर्मशाला या शहर के बेंक्विट हॉल में ब्याह रचाया उसने भी क्या उखाड़ लिया।
विदेशों में जाकर शादी करो तो निमंत्रण कार्ड हजार-पन्द्रह सौ से कम का नहीं होगा। वहीं अपने यहां तो सौ-पचास का भी चल जायेगा। शगुन भी सौ-पांच सौ का नहीं बल्कि हजारों में गिनती जायेगी। यहां तो चूल्हा-न्यौत बुलावा मिलता है पर डेस्टिनेशन वेडिंग में मुंह देख-देख बुलावा दिया जाता है। कई बेचारे तो बाट देखते ही रह जाते हैं।
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एक बर की बात है अक नत्थू सुहागरात के दिन अपनी दुल्हन तैं कहण लाग्या- आज तैं तू ए मेरी पूजा, तू ए मेरी अराधना, तू ए मेरी भावना सै। रामप्यारी नैं सोच्ची अपणी सहेलियां के नाम गिनावै है तो वा बोल्ली- आज तैं तू ए मेरा सुरजा, तू ए मेरा रामफल, तू ए धर्मपाल।

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