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फतेहाबाद सीट पर कांग्रेसियों में घमासान, सभी ने दिल्ली में डाला डेरा

10:32 AM Sep 03, 2024 IST
फतेहाबाद सीट पर कांग्रेसियों में घमासान  सभी ने दिल्ली में डाला डेरा
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मदन लाल गर्ग/हप्र
फतेहाबाद, 2 सितंबर
फतेहाबाद शहर की सीट पर टिकट के लिए कांग्रेसियों में बड़ा घमासान मचा हुआ है। सभी टिकटार्थियों ने दिल्ली में डेरा डाला हुआ है। फतेहाबाद से टिकट मांगने वाले कई नेता जहां पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा की कोठी पर रोजाना हाजिरी लगा रहे हैं, वहीं, सिरसा से सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा के समर्थकों को उनसे बड़ी उम्मीदें हैं। फतेहाबाद से दो पूर्व विधायकों के अलावा कई वरिष्ठ नेता टिकट के जुगाड़ में लगे हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विनीत पूनिया भी फतेहाबाद से टिकट के प्रबल दावेदारों में शामिल हैं। पार्टी के मीडिया विभाग में लंबे समय से कार्यरत विनीत पूनिया को विगत दिवस ही फिर से राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया है। पार्टी के केंद्रीय नेताओं के साथ उनके अच्छे संबंध बताए जाते हैं। ऐसे में टिकट के दूसरे दावेदारों के सामने भी विनीत पूनिया बड़ी चुनौती के रूप में खड़े हैं। पूर्व विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया को कुमारी सैलजा का सहारा है। लोकसभा चुनाव के दौरान इस बेल्ट में सैलजा के चुनाव की बागड़ोर दौलतपुरिया के हाथों में थी।
कांग्रेस नेताओं में टिकट काे लेकर मची होड़ के चलते स्थानीय कार्यकर्ताओं और आम मतदाताओं में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इतना ही नहीं, दोनों ही खेमों के नेता अपने-अपने नेताओं को भावी मुख्यमंत्री के रूप में भी प्रोजेक्ट कर रहे हैं। हुड्डा कैंप से पूर्व मुख्य संसदीय सचिव प्रह्लाद सिंह गिल्लाखेड़ा और 2019 में जजपा टिकट पर चुनाव लड़ चुके डॉ. विरेंद्र सिवाच भी टिकट को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं।
इसी तरह अनिल ज्याणी भी टिकट के लिए लॉबिंग में जुटे हैं। प्रह्लाद सिंह गिल्लाखेड़ा ने अपने बेटे आनंदवीर गिल्लाखेड़ा को राजनीति में लांच कर दिया है। वे इस कोशिश में हैं कि खुद की बजाय बेटे को टिकट मिल जाए। गिल्लाखेड़ा के बेटे से फतेहाबाद हलके के गांव-गांव जाकर ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान के तहत प्रचार भी शुरू किया हुआ है। माना जा रहा है कि गिल्लाखेड़ा ने अपने बेटे को इसलिए आगे किया है, क्योंकि पूर्व में दो चुनावों में उनकी जमानत जब्त हो चुकी है। जमानत जब्त होने वाले नेताओं को टिकट न देने का सैद्धांतिक तौर पर पार्टी फैसला कर चुकी है।

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2009 में गिल्लाखेड़ा बने थे आजाद विधायक

2009 के विधानसभा चुनाव में प्रह्लाद सिंह गिल्लाखेड़ा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता था। उस समय कांग्रेस 40 सीटों पर सिमट गई थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने निर्दलीयों के समर्थन से लगातार दूसरी बार सरकार का गठन किया था। ऐसे में गिल्लाखेड़ा को मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया। बाद में उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली। 2014 और 2019 में वे कांग्रेस टिकट पर चुनाव हार गए।

विरेंद्र सिवाच ने दी थी कड़ी टक्कर

2019 के चुनाव में जजपा के टिकट पर डॉ. विरेंद्र सिवाच ने भाजपा प्रत्याशी दूड़ाराम बिश्नोई को बड़ी चुनौती दी थी। विरेंद्र सिवाच ने 74 हजार से अधिक वोट हासिल किए। पिछले दिनों उन्होंने हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस की सदस्यता हासिल कर ली। प्रह्लाद सिंह गिल्लाखेड़ा का टिकट कटने की सूरत में विरेंद्र सिवाच को हुड्डा कोटे से टिकट मिलने की उम्मीद है। इसीलिए सिवाच ने भी चुनाव लड़ने की पूरी तैयारियां की हुई है।

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सैलजा की पसंद और नापंसद भी अहम

सिरसा लोकसभा क्षेत्र से सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा की पसंद-नापसंद काफी अहम होगी। उनकी पसंद के बिना किसी को टिकट मिल पाएगी, इसकी कम ही संभावना है। पिछले विधानसभा चुनाव में सैलजा यहां से सांसद भी नहीं थी। इसके बाद भी इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले हलकों के टिकट आवंटन में उनकी चली थी। उनके विरोध के चलते ही रानियां से चौ. रणजीत सिंह को टिकट नहीं मिल पाई थी।

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