पिछले वर्ष की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में 29% की आई कमी
चंडीगढ़, 28 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद धान के अवशेष यानी पराली में आग लगाने को रोकने के लिए प्रशासनिक अधिकारी अलर्ट हुए। वहीं सरकार की सख्ती के बाद न केवल प्रशासनिक अधिकारी जागे, बल्कि किसानों ने भी प्रबंधन की ओर कदम बढ़ाया। अभी तक प्रदेशभर में 415 किसानों की रेड एंट्री और 192 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक प्रदेश में फाने जलाने 713 मामले सामने आए हैं, जोकि पिछले वर्ष 2023 के मुकाबले 29 फीसदी कम हैं, जबकि वर्ष 2023 में 27 अक्तूबर तक 1005 मामले सामने आए थे। हालांकि पिछले 15 दिन की अवधि में तकरीबन साढ़े चार सौ फाने जलाने के मामले सामने आए हैं। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा के मुख्य सचिव को लगी फटकार के बाद प्रशासनिक अमला अलर्ट हुआ। यही कारण है कि हरसेक और सेटेलाइट तस्वीरों की वेरीफिकेशन करने को लेकर ग्राम सचिव से लेकर पटवारी व सरपंच भी चुस्त दिखाए दिए। यही नहीं गांवों पुलिस की गश्त भी फानों में आग लगाने के अंकुश में काफी कारगर साबित हुई।
सरकार द्वारा पराली जलाने से रोकने के लिए प्रयासों और प्रोत्साहनों के बावजूद, कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है। अब तक कुल 334 चालान जारी किए गए हैं और 8.45 लाख रुपये का जुर्माना किसानों से वसूला गया है। इसके अतिरिक्त, अब तक ऐसे किसानों के खेतों के रिकॉर्ड में कुल 418 'रेड एंट्री' दर्ज की गई है तथा 192 किसानों के खिलाफ पुलिस केस दर्ज किये गए है।
किसानों को अवशेष प्रबंधन के लिए दी जा रही आर्थिक मदद
हरियाणा में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए राज्य सरकार द्वारा सार्थक कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देशानुसार सरकार ने राज्य-विशिष्ट योजना लागू की है, जिसके तहत एक ओर जहां किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है तो वहीं दूसरी ओर पंचायतों को जीरो बर्निंग लक्ष्य दिए जा रहे हैं, ताकि पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लग सके। सरकार द्वारा ग्राम स्तर पर किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। सरकार के प्रयासों के परिणाम स्वरूप 28 अक्तूबर, 2024 तक 83,070 किसानों ने 7.11 लाख एकड़ धान क्षेत्र के प्रबंधन के लिए पंजीकरण कराया है। पंजीकरण की अंतिम तिथि 30 नवंबर, 2024 है। सरकार द्वारा इन सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए किसानों को सब्सिडी पर फसल प्रबंधन के उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। वर्ष 2018-19 से 2024-25 तक किसानों को कुल 1,00,882 फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें 50 से 80 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध कराई गई हैं।