For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

फिर नोट वापसी

12:35 PM May 23, 2023 IST
फिर नोट वापसी
Advertisement

देश के केंद्रीय बैंक द्वारा दो हजार के नोट वापसी की घोषणा के बाद नोटबंदी के तमाम विमर्श फिर चर्चा में हैं। आरबीआई का कहना है कि जो नोट चलन में हैं वे वैध रहेंगे। विपक्ष इस फैसले को नोटबंदी की तरह सरकार की विफलता बता रहा है। वहीं सत्तारूढ़ दल के नेता इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक बता रहे हैं और नोटबंदी के बजाय नोट वापसी कह रहे हैं। नोट धारकों को आरबीआई ने तीस सितंबर तक इन्हें अपने बैंक खातों में जमा करने का मौका दिया है। एक बार में बीस हजार तक रुपये जमा कराए जा सकते हैं। दरअसल, आठ नवंबर, 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद सरकार ने दो हजार के नोट शुरू किये थे। सरकार की दलील थी कि पांच सौ और हजार के नोट बंद करने से बढ़ने वाले दबाव कम करने के लिये यह निर्णय लिया गया था। ऐसे में बाजार में अन्य छोटे नोट जरूरी मात्रा में आने से दो हजार के नोट छापने का मकसद पूरा हो गया था। जिसके चलते केंद्रीय बैंक ने वर्ष 2018-19 से नये दो हजार के नोट छापने बंद कर दिये थे। देश के एटीएम व सामान्य प्रचलन में दो हजार के नोट कम ही नजर आ रहे थे। अब बैंकों द्वारा दो हजार के रुपये में भुगतान पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार की दलील है कि इस कदम से काला धन बाहर आ जायेगा। दलील दी जा रही है कि इस बड़े नोट का प्रयोग आतंकी गतिविधियों तथा भ्रष्टाचार में किया जा रहा था। वहीं आर्थिक मामलों के जानकार मानते हैं कि जब तक गैर कानूनी कामों पर अंकुश नहीं लगेगा, काले धन का सृजन जारी रहेगा। अवैध काम ही काले धन का सृजन करते हैं। बड़ा नोट बंद करने से उस पर अंकुश संभव नहीं है। वैसे आंकड़े बताते हैं कि बीते वित्तीय वर्ष के समापन तक दो हजार के नोटों का महज दस फीसदी ही प्रचलन में था। ऐसे में कुछ लाख लोगों के पास ही दो हजार के नोट मौजूद हो सकते हैं।

लेकिन यह भी हकीकत है कि तमाम ऑनलाइन विकल्पों के बावजूद नोट प्रचलन में बढ़ रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि नोटबंदी के समय चलन में मौजूद नकदी के मुकाबले करीब दुगनी नगदी अर्थव्यवस्था में मौजूद है। अर्थव्यवस्था के विस्तार के साथ नकदी की मात्रा भी बढ़ रही है। वैसे दो हजार के नोट को लेकर शुरू से ही आशंका थी कि सरकार इसे बंद कर सकती है। यह बात तब सच हुई जब सरकार ने वर्ष 2018 के बाद इन्हें छापना बंद कर दिया। लेकिन आम लोगों में यह प्रश्न खड़ा किया जा रहा है कि वर्तमान समय में इस बंद करने के निर्णय का औचित्य क्या है। यह भी हकीकत है कि इस फैसले का असर नोटबंदी जैसी ऊहापोह की स्थिति पैदा करने वाला नहीं होगा। नोटबंदी के समय जैसी लंबी कतारें नजर नहीं आएंगी, लेकिन बैंकों के कामकाज पर इसका असर जरूर नजर आयेगा। वजह यह भी है कि सरकार ने ये नोट एक निर्धारित अवधि में वापस लेने का निर्णय लिया है। वहीं दूसरी ओर आम लोगों में नोटों की विश्वसनीयता को लेकर सवाल जरूर खड़े होंगे। यही वजह है कि देश में तमाम लोग दो हजार के नोटों से सोना-चांदी खरीदने पर जोर दे रहे हैं। लेकिन यह भी हकीकत है कि नकदी की जरूरत पूरा करने के लिये बड़े नोट रखने वाले छोटे उद्योगों तथा अपनी बचत को बड़े नोट के रूप में रखने वालों को कुछ परेशानी का सामना करना पड़ेगा। बहरहाल, भले ही इस फैसले का नोटबंदी जैसा परिणाम न हो लेकिन आम आदमी यह विचार जरूर करेगा कि देश में कैश की विश्वसनीयता कितनी है। कुछ दूसरे बड़े नोटों को लेकर भी ऐसे सवाल खड़े कर सकते हैं। जिसका देश के उस असंगठित क्षेत्र के वित्तीय लेन-देन पर प्रतिकूल असर दिख सकता है, जहां अभी भी लेन-देन के लिये नोटों का इस्तेमाल किया जाता है। जो कहीं न कहीं अर्थव्यवस्था के स्वाभाविक प्रवाह पर असर डालता है।

Advertisement

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×