बसों की कमी से बिगड़ी जींद डिपो की परिवहन व्यवस्था
जींद (जुलाना), 28 अक्तूबर (हप्र)
बसों की कमी के कारण जींद रोडवेज डिपो की व्यवस्था बिगड़ गई है। इसका असर लंबे रूटों के साथ-साथ लोकल पर भी पड़ रहा है। दो माह पहले डिपो के टाटा से अनुबंध होने के कारण राज्य परिवहन ने डिपो की अशोक लीलैंड बीएस मॉडल-4 की 15 बस पलवल और 15 बस नूंह भेज दी थी। वहीं सोनीपत से टाटा की बीएस-3 मॉडल की 12 बस जींद डिपो में शामिल की जानी थी,लेकिन उन बसों का लाइफ टाइम खत्म होने वाला था। इसके कारण जींद डिपो ने इन 12 बसों को लेने से मना कर दिया था। ऐसे में डिपो में 30 बसों की कमी हो गई है। बसों की कमी के कारण 14 बस डबल चक्कर मार रही हैं। इस कारण बसों की मरम्मत को लेकर पर्याप्त समय नहीं मिल पाता और पांच से सात बस मरम्मत के लिए हर समय खड़ी रहती हैं। ऐसे में रोहतक, भिवानी, कैथल व हिसार जैसे रूट पर पहले की अपेक्षा कम बस चल रही है। इस समय डिपो में 169 बस ऑनरूट हैं, जिसमें किलोमीटर स्कीम की 37 बस शामिल हैं। 169 बसों पर 230 चालक व 265 परिचालक कार्यरत हैं। 1.7 नॉर्म के हिसाब से डिपो में 169 बसों पर 288 चालक व परिचालकों की जरूरत है।
पिछले साल शामिल हुई थी लगभग 100 बसें : पिछले एक साल में जींद डिपो में 100 से ज्यादा नई बस शामिल हुई थी, जिसमें कुछ बसें अशोक लेलैंड की भेजी गई थी। राज्य परिवहन के अतिरिक्त निदेशक ने सभी महाप्रबंधक के साथ बैठक कर चालक और परिचालकों के स्टाफ की कमी या अधिकता के चलते बसों को दूसरे डिपो में स्थानांतरित करने बारे विचार विमर्श किया था। इसमें डिपो की अशोक लेलैंड की 30 बस दूसरे डिपो में भेजे जाने और बदले में टाटा की 12 बस शामिल करने का निर्णय लिया गया था। अगस्त माह की शुरुआत में जींद डिपो की 15 बस नूहं और 15 बस पलवल भेज दी गई थी। सोनीपत से आने वाली 12 बस जींद डिपो में अभी तक नहीं
आई हैं।
''जींद डिपो से बस दूसरे डिपो में भेजे जाने को लेकर पहले की अपेक्षा बसों की संख्या कम हो गई है। ऐसे में परिवहन विभाग को चाहिए कि डिपो में बसों की संख्या बढ़ाई जाए और कर्मचारियों की स्थाई भर्ती की जाए। इससे युवाओं को स्थाई रोजगार मिल सके और यात्रियों को बेहतर परिवहन सुविधा का लाभ मिल सके।''
-संदीप रंगा, राज्य उप प्रधान हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ।
''जींद डिपो में टाटा से अनुबंधित बस चलती हैं। पिछले समय में डिपो में जो नई बस आई थी, उसमें कुछ बस अशोक लेलैंड की थी। दो महीने पहले अशोक लेलैंड की बसों को दूसरे डिपो में भेजा गया था। यात्रियों की सुविधा अनुसार बसों का संचालन किया जा रहा है।''
-राहुल जैन, महाप्रबंधक, रोडवेज डिपो जींद।