टेढ़ी खीर साबित हो रहा गेहूं बिजाई का टारगेट
अरविंद शर्मा/हप्र
जगाधरी, 7 दिसंबर
इस बार गेहूं बिजाई को लेकर कृषि विभाग का टारगेट पूरा होने में आशंका है। अभी तक विभाग लक्ष्य से काफी पीछे चल रहा है। बिजाई का लक्ष्य पूरा न होने की अधिकारी भी कई वजह गिना रहे हैं। किसान नेता इसकी वजह डीएपी खाद की किल्लत बता रहे हैं।
गेहूं की अगेती किस्म की बिजाई 25 नवंबर तक ठीक मानी जाती है। वहीं पछेती किस्म के बीज की बिजाई 25 दिसंबर तक किसान करते हैं। इस जिले में करीब 80 फीसदी बिजाई अगेती किस्म की होती है। सरकार ने कृषि विभाग को इस बार जिले में 100 हैक्टेयर रकबे में गेहूं बिजाई करने का लक्ष्य दिया हुआ है। शुक्रवार तक 88 हजार हैक्टेयर रकबे में गेहूं की बिजाई हो चुकी थी। आजकल गन्ना की फसल से खाली हुए खेतों में गेहूं की बिजाई चल रही है। गौर हो कि पिछले कुछ वर्षों से गन्ने का रकबा भी घटता जा रहा है। गन्ने का मुंढा काटने के बाद पछेती गेहूं की बिजाई होती है। किसानों का कहना है कि समय पर डीएपी खाद न मिलने से भी गेहूं बिजाई का रकबा कम हुआ है। कम बिजाई होने की मुख्य वजह यह ही है। भाकियू के जिला अध्यक्ष सुभाष गुर्जर का कहना है कि यदि समय पर डीएपी खाद मिलती तो बिजाई का रकबा सौ फीसदी बढ़ता। उनका कहना था कि दो माह तो किसान खाद के लिए भटकते रहे।
सुभाष का कहना था कि सत्तासीन दल के नेता डीएपी खाद के पर्याप्त स्टाक होने के कोरे दावे करते रहे। उनका कहना था कि पिछले तीन-चार साल से फसल के डीएपी व यूरिया खाद की किल्लत होती है।
अन्य जिलाें में भी ऐसी ही स्थिति
कृषि विभाग के सहायक पौध संरक्षण अधिकारी डाॅ. सतीश कुमार का कहना है कि कम बिजाई की वजह खेतों का देरी से बातर आना भी है। उनका कहना है कि भले ही कम सही, लेकिन अभी भी लेट वैरायटी की बिजाई चल रही है। डीएपी के बारे में उनका कहना था कि किसानों को समय पर खाद मिलता रहा। उन्होंने कहा कि बिजाई की स्थिति दूसरे कई जिलों मेें भी ऐसी ही है।