फकीर बनाने वाली किस्मत की लकीर
शमीम शर्मा
कहावत तो यही है कि जब लगने लगता है कि जिंदगी में सब कुछ सही चल रहा है, तभी अचानक एक साइड का इयर फोन चलना बंद हो जाता है। पता नहीं कब और कहां रुकावट आ जाये। कई बार किस्मत हमें ऐसे मुकाम पर ले जाती है जहां न कोई दवा काम आती है और न ही दुआ। किस्मत के धनी बंजर ज़मीन पर भी कमल खिला लेते हैं और किस्मत में न हो तो खड़ी फसल को टिड्डीदल चट कर जाता है। तभी तो कहा जाता है कि किस्मत साथ दे और इरादे बुलन्द हों तो पत्थर से भी पानी निकाला जा सकता है। किस्मत कुछ तो होती ही होगी तभी तो बीरबल बेहद अक्लमंद होने के बावजूद भी बादशाह नहीं बन पाया। तकदीर की मारी एक महिला का उलाहना है कि कुम्भकर्ण के बाद अगर कोई ढंग से सोया है तो वह है उसकी किस्मत।
किस्मत होने न होने के भी सबके अलग-अलग पैरामीटर्स हैं। जवानी में भाग्यशाली होने का इकलौता आधार यह है कि कोई लड़की आपसे बात करती है या नहीं। किस्मत के मारे एक नौजवान का कहना है, मेरी तो कती भूंडी किस्मत। मन्नैं तो कोय न्यूं भी नीं कहती अक सोच कै बताऊंगी। इसी कड़ी में एक मनचले का कहना है कि उसकी जिंदगी में लड़कियों का इतना अकाल है कि कभी कस्टमर केयर पर बात करें तो भी उसका फोन कोई लड़का ही उठाता है। बुढ़ापे में किस्मत का धनी वह है जो किसी कमरे में जाकर यह न कहे कि अरे मैं यहां क्या लेने आया था। एक विद्यार्थी अपने पिता को तब किस्मत वाला मानता है जब वह फेल हो जाये क्योंकि फिर उसके पापा को नई किताबें नहीं खरीदनी पड़ती।
एक साइकिल चलाते आदमी ने एक बूढ़े को टक्कर मार दी तो बूढ़ा तत्काल गिर पड़ा। उसे उठाते हुए साइकिल चालक बोला, एक बात माननी पड़ेगी कि आपकी किस्मत बहुत बढ़िया है। बूढ़ा अचरज में बोला, अरे भाई! मेरा गोड्डा ठुक गया और आप कह रहे हो किस्मत अच्छी है। इस पर साइकिल चालक ने समझाते हुए कहा, मैं तो ट्रक चालक हूं, श्ाुक्र करो कि आज साइकिल चला रहा हूं।
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एक बर की बात है अक कंजूस नत्थू अपणी लुगाई नैं घुमाण लाल किले पै लेग्या। कसूत्ती गर्मी मैं बदहाल सी होकै वा बोल्ली- गला कती सूख लिया, एक बोतल ठंडे पाणी की ले ले नैं। नत्थू बोल्या- पहल्यां न्यूं बता मोमो अर पिज्जा खावैगी? रामप्यारी बोल्ली- मेरै तो नाम सुणते ही मुंह मैं पाणी आग्या। नत्थू बोल्या- जद पाणी आ ए गया तो घूंट भर ले, बोत्तल मैं के डूब कै मरैगी?