यमुनानगर निगम चुनाव चारों विधायकों की प्रतिष्ठा रहेगी दांव पर
सुरेंद्र मेहता/हप्र
यमुनानगर, 14 दिसंबर
हरियाणा के नगर निगमों के चुनाव जल्द ही घोषित होने वाले हैं। इसको लेकर चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। यमुनानगर नगर निगम में 3 लाख 30000 से अधिक मतदाता अपने मताधिकारों का प्रयोग करेंगे। यमुनानगर नगर निगम का इलाका जिला के चारों विधानसभा क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें 42 से अधिक गांव है, जिनमें तीन गांव खेड़ा, रटोली और भाटली साढौरा विधानसभा से हैं, जबकि नगर निगम के वार्ड नंबर 18, 19 का अधिकांश इलाका रादौर विधानसभा क्षेत्र का है।
इसी तरह यमुनानगर और जगाधरी विधानसभा क्षेत्र के भी गांव नगर निगम यमुनानगर में शामिल हैं। यमुनानगर नगर निगम के विभिन्न वार्डों से चुनाव लड़ने वाले स्थानीय नेताओं ने अपनी-अपनी तैयारी आरंभ कर दी हैं। यमुनानगर के मेयर का पद जनरल होगा अथवा किसी वर्ग विशेष से जुड़ा इसका फैसला ड्रा निकालने के बाद होगा। तब तक मेयर का चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता असमंजस की स्थिति में रहेंगे।
ड्रा निकालने के बाद ही स्पष्ट होगा कि यमुनानगर का मेयर किस वर्ग का होगा। इस बार हरियाणा सरकार ने बीसी-ए और बीसी-बी दो पद मेयर के लिए आरक्षित रखने का फैसला किया है, जिसको ड्रा निकालने के बाद ही पता चलेगा कि वह निगम कौन-सा होता है। इसी को लेकर फिलहाल नेता उलझन की स्थिति में है।
यमुनानगर जिला में इस समय यमुनानगर और रादौर विधानसभा क्षेत्र भाजपा जीती थी। श्याम सिंह राणा रादौर से जीत कर कैबिनेट मंत्री बने हुए हैं। वहीं, यमुनानगर विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार घनश्याम दास अरोड़ा विधायक बने थे। इसी तरह साढौरा विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार कांग्रेस की रेनू बाला विजयी हुई हैं जबकि जगाधरी विधानसभा क्षेत्र से अकरम खान कांग्रेस की टिकट पर विजयी हुए हैं। इन चारों की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी कि वह अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र से अपनी अपनी पार्टी के उम्मीदवार को जीत पाते हैं या नहीं। पिछले चुनाव में भाजपा के मदन चौहान नगर निगम का चुनाव जीतकर विजयी हुए थे। मदन चौहान का कहना है कि वह पार्टी के सिपाही हैं, अगर उन्हें आदेश होगा तो वह अवश्य चुनाव लड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि वह लगातार लोगों के संपर्क में हैं। भाजपा पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह नगर निगम का चुनाव अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ेगी, जबकि कांग्रेस के कुछ नेता चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने की वकालत करते हैं, जबकि कुछ का कहना है कि पार्टी को इससे दूर रहना चाहिए, देखना होगा कांग्रेस का अंतिम फैसला क्या होता है।