प्रदेश में पराली जलाने का आंकड़ा 838 पहुंचा, 6 जिलों में एक भी मामला नहीं
चंडीगढ़, 2 नंवबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा में 90 फीसदी धान की कटाई हो चुकी है और गेहूं बुआई की तैयारियां जारी है। गेहूं बुआई के लिए खेत को तैयार करने के लिए किसान धान के अवशेषों को आग के हवाले कर रहे हैं। हालांकि प्रशासनिक सख्ती के चलते धान के अवशेषों को जलाने की घटनाओं में कमी जरूरी आई है, लेकिन अभी तक पूरी तरह अंकुश नहीं लग पाया है। 2023 के मुकाबले 38 फीसदी फानों में आग लगाने की घटनाओं में इस बार कमी दर्ज की गई है। हालांकि शनिवार को प्रदेश मे 19 जगहों पर धान के अवशेष जलाने के मामले सामने आए। प्रदेश में अभी तक धान के अवशेष (फाने) जलाने के 838 मामले सामने आए हैं, इनमें कैथल जिले में सबसे ज्यादा 158 मामले हैं, जबकि कुरुक्षेत्र जिले में 129 और छह जिलों में फाने जलाने की घटना शून्य है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद मुख्य सचिव ने प्रशासनिक अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए थे कि नोडल अधिकारियों को निलंबित करने के साथ किसानों पर जुर्माना लगाया जाए। इसके बाद प्रशासनिक अधिकारी हरकत में आए और नोडल अधिकारियों के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू किया और धान के अवशेषों को आग के हवाले करने वाले किसानों की रेड एंट्री की गई।
इसके साथ ही सरकार की ओर से किसानों का आह्वान किया कि वे धान की कटाई के बाद फसल अवशेषों में आग ना लगाएं। आग लगाने से वायु प्रदूषण फैलता है और मिट्टी के पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। किसान अवशेषों को मशीनों की सहायता से मिट्टी में मिलाएं। धान अवशेषों को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी तथा वातावरण को स्वच्छ रखने में सहायता मिलेगी। धान के अवशेषों में आगजनी की घटना को रोकने को लेकर कृषि विभाग पूरी तरह अलर्ट है। गांवों में सरपंच व पंचों की मदद से ग्राम सचिव, पटवारी और नबंरदार के जरिये रेड जोन पंचायतों का डाटा एकत्रित किया जा रहा है।
फसल अवशेष प्रबंधन हुआ कारगर
सरकार का फसल अवशेष प्रबंधन भी सार्थक साबित हुआ। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देशानुसार सरकार ने राज्य-विशिष्ट योजना लागू की है, जिसके तहत एक ओर जहां किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है तो वहीं दूसरी ओर पंचायतों को जीरो बर्निंग लक्ष्य दिए जा रहे हैं, ताकि पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लग सके। सरकार द्वारा ग्राम स्तर पर किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप 90 हजार किसानों ने धान क्षेत्र के प्रबंधन के लिए पंजीकरण कराया है।