स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से बढ़ी मरीजों की संख्या!
10:22 AM Nov 06, 2024 IST
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रतिया, 5 नवंबर (निस)
रतिया शहर में मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसे बुखारों के लक्षणों से पीड़ित मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। शहर में बुखार इस कदर फैल गया है कि स्वास्थ्य विभाग ने रोकथाम के लिए बार-बार नगर पालिका को पत्र लिखकर फॉगिंग कराने की मांग की है। स्वास्थ्य विभाग ने रैपिड फीवर सर्वे अभियान के तहत शहर के लिए 7 टीमें गठित की हैं, जो घर-घर जाकर बुखार से पीड़ित मरीजों की स्लाइडें बनाकर जांच के लिए लैब में भेज रही हैं। बावजूद इसके, शहर के सैकड़ों लोग बुखार की चपेट में हैं। सूत्रों के अनुसार, शहर के हर दूसरे या तीसरे घर में कोई न कोई बुखार से पीड़ित है। स्वास्थ्य विभाग के एसएमओ का मानना है कि बुखार के मरीजों की संख्या काफी है। यह बुखार पीड़ित व्यक्ति के जोड़ों और घुटनों में भयंकर दर्द, मुंह का स्वाद नमकीन होने और चेहरे तथा शरीर पर लाल निशान के साथ आता है। कई मरीजों के प्लेटलेट्स भी कम हो रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग सर्वे टीमों को सक्रिय कर रहा है, लेकिन बुखार से पीड़ित कई लोग, जैसे कीमत लाल, मनी जैन, काकू गर्ग, उपेंद्र, संगीता रानी, राकेश कुमार, नरेंद्र कुमार, मंजू रानी, शैलेंद्र कुमार और करमजीत सोनी का मानना है कि अगर समय रहते संबंधित विभाग ने फॉगिंग में प्रभावी दवा का इस्तेमाल किया होता, तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती। इन लोगों ने मांग की है कि शहर में बुखार की इस स्थिति के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए और तुरंत प्रभावी फॉगिंग कराई जानी चाहिए, ताकि अन्य लोग इस बुखार की चपेट में न आएं।
पार्षदों की निगरानी में फॉगिंग
इस मामले में नगर पालिका सचिव संदीप कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई दवा का उपयोग कर पार्षदों की निगरानी में फॉगिंग करवाई गई है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग के एसएमओ सज्जन कुमार ने बताया कि बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि नगर पालिका को फॉगिंग के लिए दवा उपलब्ध कराई गई थी और बुखार की रोकथाम के लिए दो बार सरकारी लेटर भी भेजा गया है।
टीम सर्वे में लगीं : एसएमओ
एसएमओ ने बताया कि बुखार से पीड़ित मरीजों की हर संभव सहायता उनके घर तक पहुंचाई जा रही है। विभाग की टीम सर्वे में लगी हुई है और बुखार से पीड़ित लोग केवल पेरासिटामोल की गोली लें और अपने उपचार के लिए आंगनवाड़ी वर्कर या सरकारी अस्पताल से संपर्क करें।
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