कार्रवाई न होने पर हाई कोर्ट ने लिया कड़ा संज्ञान
शिमला, 18 दिसंबर (हप्र)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर गोविंद सागर झील में अवैध डंपिंग करवाने के आरोपी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने में विफल रहने पर कड़ा संज्ञान लिया है। कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिए हैं कि कि वह उन सहायक पर्यावरण इंजीनियरों का ब्यौरा रिकॉर्ड पर रखें जो उस समय काम कर रहे थे जब गोविंद सागर झील या उसकी सहायक नदियों में या अन्य जंगल या सार्वजनिक भूमि पर अवैध रूप से मलबा डाला गया था और उन दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी रिकॉर्ड पर रखें। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आदेश दिए कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यह भी बताएं कि अपने दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा क्यों नहीं चलाया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता सहित मेसर्स गावर कंस्ट्रक्शन लिमिटेड, मेसर्स दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड, गांव मंडी मानवा, पी.ओ. रघुनाथपुरा, तहसील सदर, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश और मेसर्स ली एसोसिएट्स साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड, उप मोहाल बिलासपुर को आदेश दिए कि वे अपने-अपने हलफनामे दाखिल करें कि उनके द्वारा अवैध रूप से डाला गया मलबा हटा दिया गया है और जहां भी आवश्यक हो, सुधारात्मक उपाय किए गए हैं, अन्यथा कोर्ट उपरोक्त कम्पनियों को काली सूची में डालने सहित अन्य कार्रवाई करने के लिए बाध्य हो सकता है।