अच्छी करनी का सुफल
एक दिन स्कॉटलैंड के एक गरीब किसान फ्लेमिंग ने निकट के दलदल से किसी की मदद के लिए चिल्लाने की आवाज सुनी। किसान आवाज सुनते ही दलदल की ओर दौड़ा, जहां एक लड़का कमर तक कीचड़ में धंसा था और निकलने की चेष्टा कर रहा था। किसान ने उसे बचा लिया। अगले दिन किसान से एक राजपुरुष मिले, जो कृषक द्वारा बचाए गए बच्चे के पिता थे। उसने किसान को कृतज्ञता जताते हुए धन की थैली भेंट करनी चाही। किंतु किसान ने धन लेने से मना कर दिया। राजपुरुष ने किसान के पास खड़े उसके लड़के को देखकर कहा, ‘ठीक है, मैं तुम्हारे बेटे को वैसे ही शिक्षा दिलवाऊंगा जैसी मैं अपने पुत्र को दिलवा रहा हूं। यदि तुम्हारा लड़का कुछ बन गया तो हम दोनों गौरवान्वित होंगे।’ इस तरह किसान के लड़के ने स्कूली शिक्षा पाने के बाद ‘सेंट मेरीज हॉस्पिटल मेडिकल स्कूल’ से डॉक्टरी पास कर ली। कालांतर में लड़का पूरे विश्व में सर एलेक्जेंडर फ्लेमिंग के नाम से विख्यात हुआ। उन्हें पेनिसिलिन की खोज पर नोबेल पुरस्कार मिला था। जिस लड़के की इनके पिता ने जान बचाई थी उनको न्यूमोनिया हुआ, जिसको किसान के पुत्र की खोजी हुई पेनिसिलिन ने एक बार फिर जीवनदान दिया। जिस लड़के की दो बार जान बचाई गई थी, उनका नाम था सर विंस्टन चर्चिल, जो द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे। प्रस्तुति : राजकिशन नैन