For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

निरंतरता की धार

07:15 AM Sep 28, 2024 IST
निरंतरता की धार
Advertisement

एक दिन पृथ्वी, हवा और वर्षा एक बड़ी चट्टान से बातें कर रहे थे। चट्टान ने कहा, ‘तुम सब एक साथ मिल जाओ, तब भी तुम मेरा मुकाबला नहीं कर सकती।’ पृथ्वी और हवा दोनों इस बात पर सहमत थी कि चट्टान बहुत मजबूत है, पर वर्षा इस बात पर सहमत नहीं थी कि वह चट्टान का मुकाबला नहीं कर सकती। उसने कहा, ‘तुम मजबूत हो, यह मैं जानती हूं, लेकिन मैं कमजोर नहीं।’ इस बात को सुनकर पृथ्वी, हवा और चट्टान हंसने लगे। तब वर्षा ने कहा, देखो, मैं क्या कर सकती हूं। यह कहकर वह तेज गति से बरसने लगी। कई दिन बरसने पर चट्टान को कुछ नहीं हुआ। कुछ समय बाद पृथ्वी और हवा पुन: हंसने लगी। प्रति-उत्तर में वर्षा ने कहा, ‘थोड़ा धैर्य रखो बहन।’ वर्षा चट्टान पर लगातार दो वर्षों तक बरसती रही। उसके कुछ समय बाद हवा और पृथ्वी चट्टान से मिलने पहुंची। देखा, चट्टान बीच से कट गयी है। तब वर्षा ने कहा, ‘यह छेद चट्टान को बलपूर्वक काटकर नहीं बनाया गया, बल्कि यह चट्टान पर मेरे लगातार, नियमित रूप से गिरने से बना है।’

Advertisement

प्रस्तुति : देवेंद्र शर्मा

Advertisement
Advertisement
Advertisement