एकदा
वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह आंदोलन के दौरान मुंबई में खासी गहमागहमी थी। अंग्रेज आंदोलनकारियों को पकड़ते, जमकर पीटते और ले जाकर जेल में बंद कर देते थे। इसी दौरान एक दिन बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में एक दक्षिण भारतीय महिला दनदनाते हुए घुस आई। उस महिला और उसके साथ आए लोगों ने स्टॉक एक्सचेंज में नमक की पुड़िया बेचनी शुरू कर दी। उन्होंने घंटे भर में नमक की पुड़िया बेचकर चालीस हजार रुपये इकट्ठा कर लिए। मामले की सूचना पुलिस को मिली तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। मजिस्ट्रेट ने उनसे पूछा, ‘नमक कानून क्यों तोड़ा?’ महिला ने जवाब दिया, ‘देश हमारा, हवा हमारी, पानी हमारा, नमक हमारा, तुम फिरंगी कौन होते हो हमसे यह पूछने वाले?’ जवाब सुनकर मजिस्ट्रेट उन्हें जेल भेजने के लिए फैसला लिखने लगा। पांच मिनट के अंदर कोर्ट रूम में शोर मच गया। मजिस्ट्रेट ने नजर उठाई तो देखा कि महिला कोर्ट रूम में ही नमक बेचने लगी थी। अब मजिस्ट्रेट बोला, ‘मैं कुछ ही दिन के लिए जेल भेज रहा था, मगर अब आपको नौ महीने का कठिन कारावास दिया जाता है।’ महिला बोली, ‘नौ साल भी रखोगे, तो भी तुम्हारा कानून यहां नहीं चलने दिया जाएगा। यह महिला थीं ठेठ दक्षिण भारतीय कमलादेवी चट्टोपाध्याय, जिन्होंने उस समय अंग्रेजी सरकार की जड़ें हिला दी थीं।
प्रस्तुति : निशा सहगल