हंसी के पीछे की गहरी सोच और जीवन दर्शन
आलोक पुराणिक
चार्ली चैप्लिन (1889-1977) कॉमेडी और फिल्म दोनों ही क्षेत्रों के बहुत ही बड़े नाम रहे हैं। दुनियाभर के अभिनेता और कॉमेडी कारोबारी लोग चार्ली चैप्लिन के काम को बहुत गहराई से जानने-समझने की कोशिश करते हैं। इस काम में चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा बहुत ही मददगार साबित होती है। राजकमल प्रकाशन ने चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा का अनुवाद छापा है, इस अनुवाद करने वाले सूरज प्रकाश स्वयं साहित्यकार हैं। चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा कई बातें बताती हैं और कई बातें सिखाती हैं।
चार्ली चैप्लिन की कई सूक्तियां तो संकेत देती हैं, मानो वह दार्शनिक हों। गौरतलब यह है कि हंसाने वालों को आमतौर पर माना जाता है कि वह अगंभीर टाइप लोग होते हैं। पर ऐसा नहीं है, किसी की बात सुनकर, किसी की परफार्मेंस देखकर कोई हंस सकता है, इसका मतलब यह नहीं है कि हंसाने वाला अगंभीर व्यक्ति है। चार्ली चैप्लिन दार्शनिक जैसी बातें करते पाये जाते थे, उनका कथन है-इस दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है यहां तक कि तकलीफें भी। क्लोजअप से देखें, तो जिंदगी त्रासदी है, और लांग शाट से देखें, तो कॉमेडी। जिंदगी का दर्शन इन सूक्तियों में छिपा हुआ है। किसी को दूर से देखें, तो वह बहुत ही हंसता खुश दिखाई दे सकता है, पर करीब जाकर उसे देखें, तो उसकी सच्चाइयां सामने आती हैं और वह जिंदगी त्रासदी लग सकती है। चार्ली चैप्लिन का बचपन विकट त्रासदियों का केंद्र रहा, उसी में चार्ली चैप्लिन की हंसी प्रगाढ़ हुई।
चार्ली चैप्लिन अभिनय कला के बारे में कुछ ऐसी बातें करते हैं, जो किसी भी अभिनेता के लिए महत्वपूर्ण हैं। चार्ली चैप्लिन कहते हैं-किसी ने कहा कि अभिनय शान्त करने की, रिलैक्स करने की कला है। बेशक यह मूल सिद्धांत सभी कलाओं पर लागू किया जा सकता है। ...इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि दृश्य कितना आवेश भरा है। अभिनेता के भीतर जो तकनीक का जानकार मौजूद रहा है, वह शांत और आराम की मुद्रा में होना चाहिए।
चार्ली चैप्लिन दरअसल अभिनय की तकनीक सिखा रहे हैं। कामेडी के बारे में चार्ली चैप्लिन ने कहा–प्रकृति की शक्तियों के खिलाफ अपनी विवशता को देखते हुए हमें हंसना ही पड़ता है, नहीं तो हम पागल हो जायेंगे।
चार्ली चैप्लिन की यह उक्ति व्यंग्य की तकनीक को भी रेखांकित करती है। किसी ताकतवर तानाशाह के खिलाफ अगर कुछ ठोस न भी हो पा रहा हो, तो उसके खिलाफ चुटकुले गढ़कर ताकतवर तानाशाह पर हंसा तो ही जा सकता है। यही वजह है कि तानाशाहों के खिलाफ बहुत चुटकुले गढ़े जाते हैं।
कुल मिलाकर चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा हर सजग पाठक के लिए जरूरी किताब है।
पुस्तक : चार्ली चैप्लिन मेरी आत्मकथा लेखक : चार्ली चैप्लिन अनुवादक : सूरज प्रकाश, प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 524 मूल्य : रु. 599.