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कैथल और कलायत में कांग्रेस के दो सांसदों की साख का सवाल

06:59 AM Oct 01, 2024 IST
आदित्य सुरजेवाला, विकास सहारण

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
कैथल, 30 सितंबर
कैथल और कलायत विधानसभा सीटों पर कांटे के मुकाबले के बीच कांग्रेस के दो सांसदों की साख भी दांव पर लगी है। राज्यसभा सांसद व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला कैथल और हिसार सांसद जयप्रकाश ‘जेपी’ के बेटे विकास सहारण कलायत से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं भाजपा ने इन दोनों सीटों पर अपने पुराने चेहरों और मौजूदा विधायकों पर ही भरोसा जताया है।
कैथल विधानसभा सीट से रणदीप सिंह सुरजेवाला चुनाव लड़ते रहे हैं। 2019 के चुनावों में वे भाजपा के लीलाराम गुर्जर के मुकाबले चुनाव हार गए थे। वर्तमान में वे राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं। पार्टी ने उनके बेटे आदित्य सुरजेवाला को इस बार टिकट दिया है। वहीं भाजपा टिकट पर मौजूदा विधायक लीलाराम गुर्जर चुनाव लड़ रहे हैं। गुर्जर जहां केंद्र की मोदी व हरियाणा की मौजूदा सरकार के दस वर्षों के कामकाज पर वोट मांग रहे हैं। वहीं आदित्य व रणदीप सुरजेवाला सरकार की विफलताओं को मुद्दा बना रहे हैं। आम आदमी पार्टी की टिकट पर मास्टर सतबीर सिंह गोयत चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा को लगता है कि सतबीर सिंह गोयत जाट वोट तोड़ेंगे और इसका फायदा भाजपा को हो सकता है। वहीं इनेलो-बसपा गठबंधन ने गुर्जर चेहरे के रूप में क्योड़क गांव के अनिल तंवर को टिकट दिया हुआ है। भाजपा को भी अंदरखाने इस बात का डर है कि अनिल तंवर अगर गुर्जर वोट बैंक में सेंध लगाते हैं तो इसका नुकसान भाजपा उम्मीदवार को हो सकता है। फिलहाल कैथल में आमने-सामने की टक्कर देखने को मिल रही है।
कैथल की तरह कलायत सीट भी इस जिले की हॉट सीट है। हिसार सांसद जयप्रकाश ‘जेपी’ के बेटे विकास सहारण को चुनाव में जीत दिलाने के लिए जेपी ने दिन-रात एक किया हुआ है। इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा भी चुनावी मैदान में डटे हैं। आम आदमी पार्टी ने अपने वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा को टिकट दिया हुआ है। भाजपा टिकट पर मौजूदा विधायक व पूर्व मंत्री कमलेश ढांडा चुनावी मैदान में डटी हैं।
कांग्रेस की बागी अनिता ढुल बड़सीकरी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं। भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद विनोद निर्मल भी चुनावी मैदान में डटे हैं। विनोद ब्राह्मण हैं और ऐसे में भाजपा को ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगने का डर है। पूर्व विधायक सतविंद्र सिंह राणा भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। कलायत की सीट पर सबसे अधिक उम्मीदवार हैं, जिन्हें अपनी-अपनी पार्टी में बड़ा चेहरा माना जाता है। ऐसे में इस विधानसभा क्षेत्र के नतीजों पर हर किसी की नज़र रहेगी।

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गुहला में कांटे की टक्कर

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गुहला-चीका विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। कांग्रेस ने देवेंद्र हंस को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं भाजपा ने पूर्व विधायक कुलवंत बाजीगर को टिकट दिया है। दोनों उम्मीदवारों में सीधी भिड़ंत बनी हुई है। कांग्रेस टिकट नहीं मिलने के बाद बागी हुए नरेश ढांडे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। ढांडे इस सीट पर त्रिकोणीय फाइट बनाने की कोशिश में लगे हैं। कांग्रेस के दिल्लूराम बाजीगर भी टिकट मांग रहे थे। लेकिन उनकी जगह रोहतक सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद से देवेंद्र हंस को टिकट दिया गया। यहां से जजपा के मौजूदा विधायक ईश्वर सिंह भी कांग्रेस टिकट के दावेदार थे। उनकी गिनती पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा के नजदीकियों में होती है। देवेंद्र हंस को टिकट मिलने के बाद से ईश्वर सिंह सक्रिय नहीं हैं।

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क्या पुंडरी तोड़ेगा परंपरा

पुंडरी की खासियत यह है कि पिछले छह चुनावों यानी 1996 से लेकर 2019 तक यहां के वोटर निर्दलीय विधायक बनाते रहे हैं। इस बार भी निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में डटे हैं। कांग्रेस ने पूर्व मुख्य संसदीय सचिव सुल्तान सिंह जंडौला को टिकट दिया है। उनके मुकाबले भाजपा ने भी रोड जाति के सतपाल जाम्बा को अपना उम्मीदवार बनाया है। यहां से 2019 में निर्दलीय विधायक बने रणधीर सिंह गोलन के अलावा पूर्व विधायक तेजबीर सिंह भी जंडौला के समर्थन में बैठ गए हैं। कांग्रेस टिकट नहीं मिलने के बाद बागी हुए सतबीर भाना यहां कांग्रेस व भाजपा का गणित बिगाड़ते दिख रहे हैं। सतबीर भाना की गिनती कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के नजदीकियों में होती है। पूर्व मंत्री नरेंद्र शर्मा इस बार आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व विधायक दिनेश कौशिक एक बार फिर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।

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