मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
आस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

नृत्य की भाषा में कहानी कहने की कला

06:59 AM Aug 01, 2024 IST

बैले को हिन्दी में नृत्य नाटिका कहते हैं। बैले कठोर नियमों पर आधारित नृत्य नाटिका होती है। इसका रूप बहुत सुंदर और संक्षिप्त होता है, जिसमें कोई एक विशेष विचार या कहानी संगीत की धुनों के साथ प्रकट की जाती है। सबसे पहले इटली में सन 1400 में इस प्रकार का नृत्य किया जाता था। इटली के इसी नृत्य से बैले का विकास हुआ। लेकिन बैले के वर्तमान रूप का विकास फ्रांस में हुआ। साल 1600 के आसपास बैले को कला के एक रूप में राज्य की स्वीकृति मिली। बैले में भाग लेने वाली महिला या युवती को अंग्रेजी में बेलेरिना कहते हैं। जो व्यक्ति नृत्य की योजना बनाता है, उसे कोरियोग्राफर कहते हैं। बैले करने वालों की पूरी टोली या दल को कोर डी बैले कहा जाता है।
शास्त्रीय बैले में कठोर नियमों और परंपराओं का पालन करना जरूरी होता है। हाथों, पैरों, कमर तथा शरीर को गतिशील बनाने की आदर्श स्थितियां होती हैं, जो नृत्य को एक सुंदर प्रवाह देती हैं। शास्त्रीय या पारंपरिक बैले के साथ आर्केस्ट्रा यानी संगीत वाद्य यंत्रों का समूह, विशाल दृश्यावली तथा शानदार पोशाकों का उपयोग किया जाता है। नाच करने वाले एक शब्द भी नहीं बोलते लेकिन अपने नाच द्वारा वे पूरी कहानी या विचार प्रकट कर देते हैं। ऐसा वे अपने शारीरिक अंगों की गति तथा मुद्राओं द्वारा करते हैं।
आजकल के बैले में पाई जाने वाली पैरों की कुछ सुंदर शिष्ट गतियों ने शास्त्रीय बैले को पहले से कहीं अधिक आकर्षक बना दिया है। यद्यपि यह नाच मूल रूप से इटली में जन्मा और बाद में फ्रांस ने इसे विकसित किया तथापि रूसी नर्तकों ने इसमें सभी को पीछे छोड़ दिया है। रूस द्वारा बनाए गए सर्वश्रेष्ठ बैले हैं-‘हंसों की झील’ और सोता हुआ सौंदर्य। अन्ना पावलोवा विश्व की सर्वश्रेष्ठ बैले नृत्यांगना मानी जाती हैं।

Advertisement

Advertisement
Advertisement