श्रेष्ठ शिक्षा के साथ उत्तम स्वास्थ्य और संस्कार देना गुरुकुल का उद्देश्य: आचार्य देवव्रत
विनोद जिन्दल/हप्र
कुरुक्षेत्र, 24 अक्तूबर
गुरुकुल में आचार्य के संरक्षण में ब्रह्मचारी गर्भस्थ शिशु की भांति सुरक्षित रहता है और जो ब्रह्मचारी अपने गुरुओं का हमेशा आज्ञापालन करते हैं, वे निश्चित ही जीवन में सफलता के शिखर पर पहुंचते हैं। ये शब्द गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संरक्षक एवं गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गुरुकुल के 112वें वार्षिक महोत्सव को सम्बोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र पूरे मनोयोग और ईमानदारी से युवाओं के निर्माण के पुनीत कार्य में लगा है और राष्ट्र को उच्च श्रेणी के अधिकारी, इंजीनियर, डॉक्टर समर्पित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। महोत्सव में लेडी गर्वनर दर्शना देवी, आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा के महामंत्री उमेद शर्मा, एच.सी.एस मनीष लोहान, मोहित कौशिक, बागवानी के संयुक्त निदेशक डॉ. मनोज कुण्डू, 10 हरियाणा बटालियन के लेफ्टिनेंट कर्नल नीतेश कुमार, गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, उप प्रधान मास्टर सतपाल काम्बोज, निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. प्रवीण कुमार, प्राचार्य सूबे प्रताप, व्यवस्थापक रामनिवास आर्य, गुरुकुल नीलोखेड़ी से जगदीश आर्य, शिवकुमार आर्य सहित अन्य महानुभाव मौजूद रहे। मंच का सफल संचालन मुख्य संरक्षक संजीव आर्य द्वारा किया गया।
आचार्य ने कहा कि छात्रों को श्रेष्ठ शिक्षा के साथ उत्तम संस्कार और स्वास्थ्य प्रदान करना गुरुकुलों का मुख्य उद्देश्य है और उनके मार्गदर्शन में चल रहे सभी गुरुकुलों में इन बिन्दुओं पर विशेष बल दिया जाता है। इससे पूर्व निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. प्रवीण कुमार ने गुरुकुल के छात्रों की उपलब्धियों की विस्तृत जानकारी दी। महोत्सव में आज गुरुकुल के छात्रों द्वारा कौशल प्रदर्शन के तहत घुड़सवारी, निशानेबाजी, पी.टी., सूर्य नमस्कार, भूमि नमस्कार, डम्बल, लेजियम, दण्ड-बैठक, योगसन, मल्लखम्भ, कल्लरी, सुदर्शन चक्र, जिम्नास्टिक के हैरतअंगेज करतब प्रस्तुत किये जिन्हें देख दर्शकों पूरा परिसर तालियों से गुंजायमान कर दिया। समारोह में गुरुकुल प्रबंधन समिति द्वारा सभी अतिथियों को स्मृति-चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया।