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शहीदों का मंदिर...  यहां हर दिन लगता है मेला

07:28 AM Aug 15, 2023 IST
यमुनानगर के गुमथला राव में स्थापित इंकलाब मंदिर। -हप्र

सुरेंद्र मेहता

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यमुना नदी के किनारे बसा गुमथला राव गांव बेशक जिले में छोटा है, लेकिन इसकी पहचान बहुत बड़ी है। यहां शहीदों का इकलौता मंदिर (इंकलाब मंदिर) है, जहां 23वर्ष से नियमित अमर शहीदों की पूजा होती है। मार्ग से गुजरने वाला हर कोई यहां रुककर नमन करना नहीं भूलता। मंदिर में भारतमाता, शहीद भगत सिंह, शहीद राजगुरु, शहीद सुखदेव, शहीद उधम सिंह, शहीद लाला लाजपत राय, शहीद करतार सिंह शराबा, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, शहीद मंगल पांडेय, शहीद अशफाक उल्ला खां, शहीद चंद्र शेखर आजाद की प्रतिमाएं हैं। इनके अलावा 150 शहीदों के हाथ से बने हुए चित्र हैं।
पेशे से एडवोकेट वरयाम सिंह इस मंदिर के संस्थापक है। 5 दिसंबर 2001 को शहीद भगत सिंह की पहली प्रतिमा स्थापित की गई। वरयाम सिंह बताते हैं कि अमर शहीदों के प्रति उनको लगाव बचपन से ही रहा है। स्कूल में पढ़ते समय से ही भगत सिंह पर कविताएं लिखने का शौक था। उन्होंने शहीद फ़िल्म को देखा तो मन मे विचार आया कि वीर शहीदों की याद में भी कोई स्थान होना चाहिए। इंकलाब मंदिर में अब तक कई हस्तियां आकर नमन कर चुकी हैं। एडवोके वरयाम सिंह ने दावा किया कि उनके पास 650 शहीदों का रिकॉर्ड है। वह अब इंकलाब आयोग के गठन की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों से भी बच्चे यहां शहीदों को नमन करने व उनके इतिहास के बारे जानने के लिए आते हैं। वरयाम सिंह ने बताया कि उन्होंने 2005 में एंटी करप्शन सोसाइटी का गठन किया। शहीदों के सम्मान में कार्यक्रम करने का सिलसिला 1999 से चल रहा है। सोसाइटी से जुड़े लोगों के साथ-साथ समाज के लोगों के साथ कभी गांव में तो कभी शहर में जाकर कार्यक्रम किए। शहीद भगत सिंह की फोटो वाले सिक्के जारी कराने की ठानी। उन्होंने दावा किया, ‘हमारी मांग पर 17 सितंबर, 2007 में शहीद भगत सिंह के गांव खटखटा कलां से केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी ने इसकी शुरुआत की। इसके साथ ही 29 जुलाई 2010 को हरियाणा सरकार के गृहमंत्री ने हमारी मांग पर आदेश जारी किए कि प्रदेश की हर पुलिस चौकी, थाना और एसपी आफिस में शहीद भगत सिंह की फोटो लगाई गई।’ एडवोकट वरयाम सिंह बताते हैं कि इंकलाब मंदिर की स्थापना के लिए ग्राम पंचायत गुमथला, हरियाणा एंटी करप्शन सोसाइटी, इंकलाब शहीद स्मारक चैरिटेबल ट्रस्ट, क्षेत्र के अन्य लोगों का काफी योगदान रहा है।

रो पड़े थे उधम सिंह के वंशज

गत वर्ष शहीद उधम सिंह के वंशज खुशिनन्द मंदिर में आए। कदम रखते ही उनके आंसू छलक पड़े। शहीदों की प्रतिमा देख बोले- ‘कोई तो हैं जो अमर शहीदों को दिल से याद कर रहा है।’ ऐसे ही चंबल की घाटी के समाजसेवी आलम बोले, इंकलाब मंदिर के बारे में सुना था, लेकिन आज दर्शन भी हो गए।

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