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आत्मनिर्भरता का स्वाद

06:37 AM Jan 25, 2024 IST

एक बार गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर से मिलने कुछ विदेशी मित्र अचानक आ गये। टैगोर ने दो दिन पहले ही अपने लिए नया रसोई सहायक नियुक्त किया था। अचानक आ गये इतने मेहमान देखकर वह घबरा गया। टैगोर उसकी मनोदशा भांंप गये और उसे एक बड़ा झोला दिया और पास ही गांव की हाट से सामान लाने भेज दिया। उसके लौटने तक टैगोर ने अपने विदेशी मित्रों से बात करते-करते हरी मिर्च, प्याज का खट्टा-मीठा ताजा सलाद उसके साथ माछ भात और चटपटा रसीला लाल चटनी का झोल भी खुद ही तैयार कर दिया। सहायक को भी पका पकाया भोजन परोसा गया इस तरह टैगोर ने उसे महसूस करा भी दिया कि वह सहायक तो है मगर रसोई के कामों के लिए टैगोर केवल उस पर ही निर्भर नहीं हैं।

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प्रस्तुति : मुग्धा पांडे

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