संबंधों में निरंतरता के लिए निकालें वक्त
जोगेंद्र सोलंकी
कोरोना महामारी की तीसरी लहर के खौफ के बीच, कुछ-कुछ तस्वीरें उम्मीदें जगाने वाली भी हैं। बॉलीवुड में काम तेजी से हो रहा है। टीवी पर नये एपिसोड की बौछार सी आ रही है। अगले साल की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के मद्देनजर स्कूलों में भी चहल-पहल दिख रही है। यानी कुछ स्कूलों में बच्चों को बुलाया जा रहा है। ऑनलाइन पढ़ाई तो चल ही रही है, बच्चों को स्कूलों तक लाने की कवायदें भी तेज हो रही हैं। हालांकि खौफ बरकरार है। सभी से अपील की जा रही है कि कोरोना से बचने के उपायों को अपनाते रहें। ऐसे में दो सालों से जो रुटीन हमारा बदला है, उसका बड़ा असर हमारी लाइफ स्टाइल पर तो पड़ा ही है, हमारी दोस्ती-रिश्तेदारी भी प्रभावित हुई है। अब समय आ गया है कि अपनी दिनचर्या में हम यह भी शामिल करें कि हम अपने संबंधों का नवीनीकरण करें। कुछ वक्त अपने संबंधों के नवीनीकरण के लिए भी निकालें। जैसा कि आप अपने अनेक दस्तावेजों का एक निश्चित समय बाद नवीनीकरण यानी रीन्यू कराते हैं। दस्तावेज गाड़ी का हो या घर से संबंधित या फिर कोई और। उसी तरह अपने संबंधों को भी रीन्यू करते रहना चाहिए। कोरोना काल में कई लोग मित्रों, रिश्तेदारों से लंबे समय से नहीं मिल पाए हैं। कुछ से बात हुई, कुछ से नहीं हुई। किसी के साथ कोई गलतफहमी हो गयी जो लंबे समय तक बनी रही। लेकिन अपनी ओर से संबंधों के नवीनीकरण की कोशिश करनी चाहिए। कभी फोन पर बतियाकर और सबकुछ सामान्य रहे तो कभी मेल-मिलाप के साथ ही यह शुरुआत की जा सकती है।
बातचीत या चैटिंग से करें शुरुआत
अगर कुछ घनिष्ठ मित्रों या रिश्तेदारों के साथ लंबे समय से बातचीत नहीं हुई हो तो आप उनसे चैटिंग के जरिये या फोन के जरिये संबंध नवीनीकरण की शुरुआत कर सकते हैं। हालचाल लेने और देने से शुरू हुई यह बातचीत निश्चित रूप से एक समय के अंतराल के बाद फिर से उसी प्रगाढ़ता की ओर बढ़ेंगे जैसे पहले थे। कई बार दूसरी ओर से सही प्रतिक्रिया नहीं मिलती, लेकिन इससे बात बंद नहीं करें। क्योंकि हो सकता है कभी कोई गलतफहमी हुई हो, जिसका कोई कारण ही नहीं हो। दोनों तरफ से सन्नाटे के कारण यह गलतफहमी बढ़ ही जाती है। लेकिन अगर पहल किसी भी तरफ से हो तो जरूर उसका सकारात्मक असर रहेगा। यह शुरुआत खुद से हो सकती है और दूसरी तरफ से हुई हो तो उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप इधर से भी होनी चाहिए।
आसपास के सामाजिक कार्यों में सक्रियता बढ़ाएं
सोशल डिस्टेंसिंग बेशक बहुत जरूरी है, लेकिन हमें अपने आसपास के सामाजिक कार्यों में अब सक्रियता दिखानी चाहिए। यदि रिटायर्ड पर्सन हैं तो यह सक्रियता ज्यादा समय के लिए हो सकती है और अगर कामकाजी हैं तो छुट्टी वाले दिन इस तरह की भूमिका अदा की जा सकती है। मोहल्ले में कई गतिविधियां ठप पड़ी हैं, उनकी शुरुआत किस तरह से हो, यह ही भी हमारी सोच का बिंदु हो सकता है। इसके अलावा त्योहारों पर पहले जैसी रौनक कैसे लायी जाए इस पर भी विचार करना जरूरी होगा। हां ध्यान रहे कि कोरोना से निपटने के उपायों में कोई कोताही न हो।