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सहजता से लें परीक्षा को, न बनने दें फोबिया

08:14 AM Mar 21, 2024 IST

अलका 'सोनी'
प्रायः बच्चे परीक्षाओं के दबाव में आ जाते हैं। परीक्षाओं के दिनों में जरूरत से ज्यादा तनाव ले लेने के कारण ऐन वक्त पर उनकी तबीयत बिगड़ जाती है और वे बेहतर प्रदर्शन करने से चूक जाते हैं। लेकिन आज के इस प्रतियोगिता वाले युग में बड़े भी बच्चों पर बेहतर प्रदर्शन का दबाव बनाने लगते हैं। जो कि बिल्कुल गलत है। बच्चे परीक्षाओं के साथ साथ जीवन में भी बेहतर प्रदर्शन करें इसके लिए आवश्यक है कि उन्हें परीक्षा फोबिया से दूर रखें। उसे स्वाभाविक रूप से लेना सिखाएं। ताकि परीक्षा उनका दर्द न बनने पाए।

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मानसिक दबाव से उबरने में मदद करें

प्रायः बच्चे परीक्षा के ठीक पहले किताबों में डूब जाते हैं। सारा दिन किताबों से चिपके रहते हैं। आनन-फानन में नोट्स याद करने लगते हैं। लेकिन ऐसा करने से उन्हें न तो नोट्स याद होंगे और न ही वे कोई बात गहराई से समझ पाएंगे। इसके लिए उन्हें समय प्रबंधन सिखाएं। पढ़ने का रूटीन बनाने को कहें। जिसके हिसाब से पढ़ने से उनके सारे विषय कवर हो जायेंगे।

परीक्षा के दिन नये प्रयोग न करें

परीक्षाओं का शुरू होना विद्यार्थियों में रोमांच भर देता है। दोस्तों के साथ ज्खदा समय बिताना व कुछ भी खा-पहन लेना। । नतीजा, उनका स्वास्थ्य और मूड दोनों खराब हो जाते हैं। कई बार नए कपड़े पहनकर एग्जाम देने चले जाते हैं। जिसकी फिटिंग सही नहीं होने के कारण उन्हें अस्त-व्यस्त सा महसूस होता है। ध्यान भटक जाता है। कुछ उल्टा-सीधा खा लेने से सेहत भी बिगड़ सकती है।

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कुछ समय मनोरंजन भी

बच्चे मानसिक तनाव से दूर रहें इसके लिए पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन का भी समय निकालें। बेशक परीक्षा सामने है लेकिन इन्हीं 24 घंटे में से बच्चे थोड़ी देर मनोरंजन या दोस्तों से बातें कर सकते हैं। टीवी पर कुछ देख सकते हैं। पसंदीदा गाने सुन सकते हैं। इन सब से उनका दिमाग फ्रेश होता है और पढ़ाई का दबाव कुछ कम हो जाता है।

बचें रिपोर्ट कार्ड को स्टेटस सिंबल बनाने से

निधि बड़े दिनों बाद अपनी कजिन श्वेता के घर गयी थी। जब दोनों बहनें आपस में बातें करने लगीं तो निधि को बहुत अचरज हुआ कि श्वेता तो बस अपने बच्चों के रिजल्ट और अचीवमेंट्स की ही बातें किये जा रही थी। उसके बच्चे भी हर बात में अच्छे थे लेकिन उसने कभी किसी के सामने इसका बखान नहीं किया था। श्वेता की तरह कई अभिभावकों की आदत होती है कि वे अपने बच्चों की पढ़ाई और गतिविधियों के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बातें करते हैं जो कि गलत है। इससे बच्चों पर मानसिक दबाव बनता है, ज़्यादा मार्क्स पाने का। जो कभी-कभी उन्हें गलत कदम उठाने के लिए भी मजबूर कर देता है। परीक्षाएं जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ होती हैं। जो आगे कैरियर और जीवन को आकार प्रदान करती हैं। इसलिए इनकी तैयारी योजनाबद्ध तरीके से करनी चाहिए। साथ ही अपने शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य जैसे दूसरे बिंदुओं का भी ध्यान रखना चाहिए।

अच्छे दोस्त बनाएं

बच्चों का ध्यान पढ़ाई से न भटके इसके लिए यह जरूरी है कि वे अच्छे दोस्त बनाएं। गलत संगति न केवल उनका ध्यान भटका सकती है वरन उनके जीवन की दिशा भी बिगाड़ सकती है। अगर अपने से ज्यादा बुद्धिमान लोगों से दोस्ती की जाए तो यह काफी मददगार हो सकती है। ऐसे दोस्त जिनके साथ ग्रुप डिस्कशन और नोट्स की साझेदारी भी की जा सके। यह आपस में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को जन्म दे सकता है।

कम करें स्क्रीन टाइम

ज्यादा स्क्रीन ऑवर आंखों पर गलत असर डालते हैं। विद्यार्थियों के लिए यह जरूरी है कि उनकी आंखें स्वस्थ रहें। इसलिए उन्हें अपना स्क्रीन टाइम नियंत्रित करने की जरूरत है। ज्यादा मोबाइल या लैपटॉप की स्क्रीन देखने से उनकी आंखें खराब होने का डर भी रहता है। आंखों में दर्द या जलन भी हो सकती है। सोने के पहले गैजेट्स का प्रयोग न करें। ताकि नींद पूरी हो और पढ़ाई अच्छी हो सके।

मानसिक शांति बनाए रखें

जब परीक्षा सामने होती है तो विद्यार्थियों के ऊपर हर तरफ से दबाव बनाया जाता है। एग्जाम है, पढ़ो! और वह सब कुछ भूल कर रात-रातभर जागकर पढ़ाई करते हैं। कई बार इस दबाव के कारण बच्चे अपना लक्ष्य भूलकर गलत राह पकड़ने लगते हैं। इन सबसे बचना जरूरी है ताकि उनका मानसिक स्वास्थ्य बना रहे। इसके लिए मेडिटेशन, संतुलित भोजन और पर्याप्त नींद लेना जरूरी है। वहीं ऐसी बातों व लोगों से दूर रहें जो उनमें किसी भी तरह की नकारात्मकता भरते हों।

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