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ठोक-बजाकर फैसला लें हेल्थ पॉलिसी का

11:23 AM Sep 04, 2024 IST

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होने पर बिना अतिरिक्त चिंता किए गुणवत्तापूर्ण इलाज मिल जाता है। वहीं अस्पताल में भर्ती होने का खर्च, इनकम टैक्स बेनिफिट, कैशलेस ट्रीटमेंट, चेकअप के अलावा मातृत्व के खर्च कवर हो जाते हैं। लेकिन पॉलिसी लेने से पूर्व शर्तों को ध्यान से पढ़कर जांच लें मसलन कवरेज में क्या-क्या है, और सालाना टेस्ट सुविधा है या नहीं।

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विवेक कुमार

इन दिनों जिस तरह की भागदौड़ भरी और अनिश्चिततापूर्ण जिंदगी है, ऐसे में अगर व्यक्ति कर सामान्य कमाई हो तो भी एक अनिश्चित और जोखिमभरे समय के लिए, अपने पर आश्रित जनों हेतु कुछ न कुछ व्यवस्था करनी चाहिए। अगर दुर्भाग्य से अकस्मात मौत ही हो जाए, तो उसके मरते ही उस पर आश्रित प्रियजन अचानक से अनाथ न हो जाएं। अगर हेल्थ इंश्योरेंस लिया जाये तो अचानक पता चली किसी बीमारी का बिना दहशत में आये इलाज हो सकता है। इसके लिए जो आड़े वक्त के लिए सेविंग की हुई होती है, वो खर्च नहीं होती। अगर व्यक्ति के पास स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी होती है, तो बीमारी के समय बिना घबराये अस्पताल में भर्ती हो सकता है। क्योंकि आजकल हर बीमा कंपनी अपने पॉलिसीधारक को अधिकतम कैशलेस सुविधा देती है यानी अस्पताल का सारा खर्च इंश्योरेंस पॉलिसी से हो जाता है। यूं भी अच्छा-बुरा हम सब में किसी के साथ भी, कभी भी हो सकता है।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होने पर हमें किसी बीमारी या दुर्घटना पर तुरंत गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिल जाती हैं। जब देश में कोरोना महामारी फैली थी, तब मधुमेह, मोतियाबिंद, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, थायरॉयड, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों में एक तरह से उभार आ गया था। अचानक लोगों के मेडिकल बिल बहुत ज्यादा बढ़ गये। जिन लोगों ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी थी, उन्हें इस दौरान काफी फायदा हुआ था। क्योंकि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होने पर बिना अतिरिक्त चिंता किए गुणवत्तापूर्ण इलाज मिल जाता है। यानी ये सात फायदे तुरंत मिलते हैं- अस्पताल में भर्ती होने का खर्च, इनकम टैक्स बेनिफिट, कैशलेस ट्रीटमेंट, कॉम्पलीमेंटरी चेकअप, मातृत्व और नवजात शिशु के खर्च, राइडर के लाभ और डे केयर प्रक्रियाओं के लिए लगात।

व्यापक कवरेज हो

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सवाल है कि जब हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लें तो किन बातों का खास ध्यान रखें। हेल्थ पॉलिसी में संक्रमित और असंक्रमित दोनों ही तरह की बीमारियों के लिए व्यापक कवरेज होनी चाहिए। पॉलिसी की गाइडलाइन में पढ़ लें कि क्या गंभीर और पहले से मौजूद बीमारियों जैसे कैंसर, किडनी फेल्योर, स्ट्रोक, मधुमेह, हाई ब्लडप्रेशर, थायरॉयड आदि के कवर की भी व्यवस्था है। यह भी कि पॉलिसी में चिकित्सा, आपातकाल के दौरान तत्काल अस्पताल में कैशलेस भर्ती की व्यवस्था है या नहीं। यह भी देखें कि प्रीमियम दर सस्ती हो और उस पर पर्याप्त बीमा राशि हो। वहीं पॉलिसी में एड ऑन लाभ जैसे नो क्लेम बोनस, वैश्विक कवरेज, अंतर्राष्ट्रीय सेकेंड ओपीनियन, पेड प्रतीक्षा अवधि में कमी जैसी सुविधाएं हों। एम्बुलेंस कवर, अंगदाता कवर, डोममिसलियरी अस्पताल के लिए कवरेज जैसी व्यवस्थाएं भी जरूरी हैं।

वार्षिक स्वास्थ्य जांच की सुविधा

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लें तो इस बात को भी अच्छी तरह से जांच लें कि उसमें वार्षिक स्वास्थ्य जांच की सुविधा हो, जिससे न सिर्फ हम अच्छे-खासे पैसे बचा सकते हैं अपितु अपने स्वास्थ्य पर भी नजर रख सकते हैं। हेल्थ पॉलिसी लेते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि हेल्थ पॉलिसी पर ‘डे केयर’ प्रक्रियाओं का पूर्ण कवरेज होना चाहिए, साथ ही आयकर अधिनियम की धारा 80डी का लाभ भी मिलना चाहिए। जब हमारी पॉलिसी में इतने सारे कवरेज होते हैं, तो वह पॉलिसी बहुत अच्छी मानी जाती है।

न्यूनतम प्रारंभिक प्रतीक्षा अवधि

जीवन बीमा कराएं तो इस बात का ध्यान रखें कि उसमें प्रारंभिक प्रतीक्षा अवधि न्यूनतम यानी 30 दिन तक की हो, कई कंपनियां यह अवधि 90 दिन की कर देती हैं, जिसका मतलब ये होता है कि पॉलिसी खरीदने के बाद भी 90 दिनों तक आपको कोई कवरेज नहीं मिलेगी। इस दौरान अगर किसी की मौत भी हो जाए तो भी तय नहीं है कि उसे बीमाधारक होने का लाभ मिलेगा ही। इसलिए 30 दिनों की न्यूनतम प्रारंभिक प्रतीक्षा अवधि वाली पॉलिसी ही चुनें। अपनी नियमित आय के 15 से 20 गुना आय की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लें और कम से कम 5 से 7 लाख रुपये का हेल्थ कवर होना चाहिए।

शर्तों को ध्यानपूर्वक पढ़ें

आमतौर पर हेल्थ बीमा कंपनियां शर्तों को बहुत छोटे शब्दों में लिखती हैं, इसलिए उन्हें ध्यान से पढ़ें और अगर पढ़ने में न आ रहा हो तो कंपनी के साफ कहें कि आपको शर्तें बड़े और मोटे अक्षरों में दी जाएं। अपनी समझने वाली भाषा में शर्तों की मांग करें। बिना पॉलिसी को विस्तार से पढ़े एजेंट पर भरोसा न करें। दरअसल हर पॉलिसी के हर क्लॉज को समझना चाहिए वरना ये पॉलिसी कहीं पर भी आपको गच्चा दे देती है। कोशिश करें कि जिंदगी में 40 साल के पहले ही हेल्थ कवर ले लें, उसके कारण बिना चेकअप के आपको कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं मिल सकती हैं। साथ ही हर साल रिन्यू कराने से पहले अपने नो क्लेम बोनस का लाभ लेना न भूलें। हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय कंपनी को अपनी मेडिकल संबंधी परेशानियां बिल्कुल सही-सही बताएं। आपकी गलतबयानी से ऐसा न हो कि बाद में आपको क्लेम न मिले।

-इ.रि.सें.

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