दर्जी की मर्जी और राहत की अर्जी
शमीम शर्मा
एक शे’र याद आ रहा है—
उम्मीदों का फटा पैहरन कौन सिले दर्जी,
हम तो उसी में खुश हैं जो है खुदा की मर्जी।
दर्जी शब्द फारसी के ‘दारजान’ शब्द से बना है जिसका अर्थ है- सिलाई करना। सिलाई कर्म करने वाले अपने यहां दर्जी कहलाते हैं। सिलाई एक कला है जिसका इतिहास मानव सभ्यता जितना ही पुराना है। सूई-धागे और दर्जी ने समाज की नग्नता पर पर्दे डालने के साथ-साथ उसे मौसम की हर मार से बचाने और सजा-संवार कर फैशन की दुनिया में ले जाने का काम किया है। महाराजा से मजदूर तक के परिधान निर्माण में दर्जी शताब्दियों से जुटा है। हर छोटे-बड़े गांव शहर में दर्जी की दुकान मिलती है।
एक लोककथा है कि किसी दर्जी ने एक बार हाथी की सूंड में सूई चुभोई थी तो हाथी ने बदला लेने के लिये सूंड में कीचड़ भरा पानी भर-भर दर्जी पर फेंका और अपना बदला लिया। पर हाल ही में जब एक दर्जी बड़े प्रेमपूर्वक किसी आदमी के कंधे के तीरे और गले का नाप ले रहा था तो पाश्विक भावों से भरे एक आदमी ने दर्जी का गला ही काट डाला। कुर्ते, कमीज, जैकेट-कोट के गले लगाने वाले आदमी का गला ही गायब कर दिया। वाह रे इंसान! तू इंसान नहीं हैवान है। यानी आदमी ने वह काम कर दिखाया जो पशु भी नहीं करते।
रेडीमेड गारमेंट इंडस्ट्री आने के बाद भी दर्जियों की जरूरत पर कोई असर नहीं पड़ा। हर अवसर के अनुरूप कपड़े सिलने में वह पारंगत है पर आतंकियों ने अवसर ताड़ कर दर्जी पर ही हमला बोल दिया। हम इतने कृतघ्न हैं कि किसी के प्रति भी मन से आभारी नहीं हैं।
एक सार्वभौमिक सत्य है कि लड़कियां दो ही लोगों की बात को ध्यान से सुनती हैं- एक तो दर्जी और दूसरा फोटोग्राफर। कोरोना के बाद से ही दर्जी बहुत परेशान हैं। लड़कियां अपने सूट का कपड़ा दर्जी को देकर नाप देने के बाद कहती हैं- भैया बचे हुये कपड़े के दो मास्क जरूर बना देना। एक बार एक सीए नौजवान दर्जी के पास गया। किसी बात पर उसने दर्जी से कह दिया- तमीज से बात करो, हम सीए हैं। दर्जी भी भड़का बैठा था, बोला- हम भी सीए हैं, बचपन से लेकर बस आज तक सीए ही सीए हैं। एक मनचले का कहना है कि दर्जी जेब हमेशा बायें ओर लगाते हैं जबकि दिल पर वैसे ही बहुत बोझ हैं।
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एक बर की बात है अक नत्थू दर्जी सुसराल जाण खात्तर बस मैं चढ्या तो उसके चढते ही उसका मोबाइल बज्या तो वो बोल्या—रै तैं बाजू काट ले, मैं इब्बे आये पाच्छै गला काट द्यूंगा। न्यूं सुणते ही बस के सारे मुसाफिर तड़ातड़ खिड़की तै तलै कूदगे।