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हरियाणा में सामाजिक-आर्थिक आधार पर अतिरिक्त पांच अंकों को सुप्रीम कोर्ट की ‘ न ’

06:39 AM Jun 25, 2024 IST
हरियाणा में सामाजिक आर्थिक आधार पर अतिरिक्त पांच अंकों को सुप्रीम कोर्ट की ‘ न ’
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 24 जून
सरकारी नौकरियों में गरीब परिवारों के बच्चों को सामाजिक-आर्थिक आधार पर पांच अतिरिक्त अंक देने का फैसला सुप्रीम कोर्ट में भी स्टैंड नहीं कर पाया। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अतिरिक्त अंक देने की सरकार की नीति को रद्द करने के आदेशों को बरकरार रखा। हाईकोर्ट की तरह ही सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकार के इस फैसले को ‘लोकलुभावन उपाय’ करार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट से झटका लगने के बाद राज्य की नायब सरकार हरकत में आ गई है। सोमवार को कैबिनेट सहयोगियों व विधायकों के साथ अयोध्या में रामलला के दर्शन करने गए सीएम नायब सिंह सैनी चंडीगढ़ पहुंचे ही मीडिया से रूबरू हुए। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में दो टूक कहा –सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उन युवाओं पर किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा, जो इस नीति के तहत नौकरी हासिल कर चुके हैं। सरकार हाईकोर्ट में ही पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। साथ ही, हरियाणा विधानसभा में विधेयक भी लाया जाएगा। पूर्व सीएम मनोहर लाल के कार्यकाल के दौरान सरकारी भर्तियों में सामाजिक-आर्थिक आधार पर गरीब परिवारों के बच्चों को पांच अतिरिक्त अंक देने का फैसला लिया था। इसके तहत ग्रुप-सी और डी की कई भर्तियां भी हो चुकी हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पिछले दिनों इस मामले की सुनवाई करते हुए सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी। सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेशों को सही ठहराते हुए इस मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।
हाईकोर्ट के फैसले से 23 हजार के लगभग भर्तियों पर असर पड़ा है। सीएम नायब सिंह सैनी ने साफ तौर पर कहा कि किसी भी युवा की नौकरी नहीं जाएगी। फैसले को लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी। जरूरत पड़ी तो विधानसभा में विधयेक लाकर युवाओं की नौकरी सुनिश्चित की जायेंगी। प्रेस कांफ्रेंस से पहले सीएम ने इस पूरे मामले में एडवाकेट जनरल (एजी) बलदेव राज महाजन से पूरी रिपोर्ट ली।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने नौकरियों से वंचित, अनाथ, विधवाओं, विमुक्त और घुमंतू जातियों तथा गरीब परिवारों के युवाओं के लिए 2018 में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी नौकरियों में सामाजिक-आर्थिक आधार पर अतिरिक्त अंक देने की जो व्यवस्था शुरू की थी, उससे हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। चतुर्थ श्रेणी के 13 हजार 657 पदों के लिए आयोजित सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) में कुल 13 लाख 50 हजार युवाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया था। इनमें से करीब साढ़े नौ लाख युवाओं ने सीईटी दिया, जिनमें से चार लाख 20 हजार युवाओं ने क्वालीफाई किया। 11 हजार पदों पर चयनित युवाओं ने सामाजिक-आर्थिक आधार के अंक नहीं लिए हैं, जिससे उनकी नौकरी को कोई खतरा नहीं है। चतुर्थ श्रेणी पदों के लिए 2657 युवाओं ने सामाजिक-आर्थिक आधार के पांच अंकों के सहारे मेरिट में जगह बनाई है। लेकिन हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने उनका रिजल्ट रोका हुआ है। ऐसे में एक भी युवा कर्मचारी को नौकरी से हटाने का सवाल ही नहीं उठता।

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श्वेत-पत्र जारी करे कांग्रेस कांग्रेस को चुनौती देते हुए सीएम ने कहा – कांग्रेस अपने 10 वर्षों के कार्यकाल में दी गई नौकरियों पर श्वेत-पत्र जारी करे। यह बताए कि कितनी नौकरियां पर्ची व खर्ची और क्षेत्रवाद के आधार पर दी। मौजूदा सरकार ने साढ़े नौ वर्षों में 1 लाख 32 हजार से अधिक सरकारी नौकरियां दी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने केवल इन्हें वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल जरूर किया, लेकिन कभी रोजगार नहीं दिया। सैनी ने कांग्रेस को भर्ती रोको गैंग की संज्ञा देते हुए कहा कि कांग्रेस के कुछ नेता भ्रम फैला रहे हैं। उन्हें आधी-अधूरी जानकारी होती है, लेकिन वह युवाओं को गुमराह करने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि झूठ बोलना कांग्रेस के डीएनए में है।

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