मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

आस्था का अलौकिक स्थापत्य

07:57 AM Aug 07, 2023 IST

पूर्णिमा सनातनी

Advertisement

वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार केदारनाथ मंदिर शायद 8वीं शताब्दी में बना था। यह तो तय है कि यह मंदिर कम से कम 1200 वर्षों से अस्तित्व में है। एक तरफ 22,000 फीट ऊंची केदारनाथ पहाड़ी, दूसरी तरफ 21,600 फीट ऊंचा कराचकुंड और तीसरी तरफ 22,700 फीट ऊंचा भरतकुंड है। इन तीन पर्वतों से होकर बहने वाली पांच नदियां हैं मंदाकिनी, मधुगंगा, चिरगंगा, सरस्वती और स्वरंदरी। यह क्षेत्र ‘मंदाकिनी नदी’ का एकमात्र जलसंग्रहण क्षेत्र है। यह मंदिर एक कलाकृति है। कितना बड़ा असम्भव कार्य रहा होगा ऐसी जगह पर कलाकृति जैसा मन्दिर बनाना जहां ठंड के दिन भारी मात्रा में बर्फ हो और बरसात के मौसम में बहुत तेज गति से पानी बहता हो। फिर इस मन्दिर को ऐसी जगह क्यों बनाया गया? ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में 1200 साल से भी पहले ऐसा अप्रतिम मंदिर कैसे बन सकता है? 1200 साल बाद, भी जहां उस क्षेत्र में सब कुछ हेलिकॉप्टर से ले जाया जाता है। कुछ परीक्षणों से पता चला कि मंदिर 14वीं सदी से लेकर 17वीं सदी के मध्य तक पूरी तरह से बर्फ में दब गया था। हालांकि, मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ। 2013 में केदारनाथ में आई विनाशकारी बाढ़ को सभी ने देखा होगा। इस दौरान औसत से 375 प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी। भारतीय वायुसेना ने करीब सवा लाख लोगों को एयरलिफ्ट किया। इतनी भीषण बाढ़ में भी केदारनाथ मंदिर का पूरा ढांचा जरा भी प्रभावित नहीं हुआ।
भारतीय पुरातत्व सोसायटी के मुताबिक, बाढ़ के बाद भी मंदिर के पूरे ढांचे के ऑडिट में 99 फीसदी मंदिर पूरी तरह सुरक्षित है। ‘आईआईटी मद्रास’ ने मंदिर पर ‘एनडीटी परीक्षण’ किया। साथ ही कहा कि मंदिर पूरी तरह से सुरक्षित और मजबूत है।
दरअसल, मंदिर के अक्षुण्ण खड़े रहने के पीछे एक तो दिशा महत्वपूर्ण है। दूसरी बात यह है कि इसमें इस्तेमाल किया गया पत्थर बहुत सख्त और टिकाऊ है। खास बात यह है कि इस मंदिर के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया गया पत्थर वहां उपलब्ध नहीं है, तो जरा सोचिए कि उस पत्थर को वहां कैसे ले जाया जा सकता था। इस पत्थर की विशेषता यह है कि 400 साल तक बर्फ के नीचे रहने के बाद भी इसके ‘गुणों’ में कोई अंतर नहीं है। आखिर शिला जिसका उपयोग 6 फुट ऊंचे मंच के निर्माण के लिए किया गया है कैसे मन्दिर स्थल तक लायी गयी। हम एक बार फिर केदारनाथ के उन वैज्ञानिकों के निर्माण के आगे नतमस्तक हैं, जिन्हें उसी भव्यता के साथ 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊंचा होने का सम्मान मिलेगा। यह एक उदाहरण है कि वैदिक हिंदू धर्म और संस्कृति कितनी उन्नत थी।
साभार : संस्कारधनी डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

Advertisement
Advertisement