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कामयाब दुकानदार वही जो दुश्मन को भी सामान बेचे

06:27 AM Nov 21, 2023 IST
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आलोक पुराणिक

वक्त पेचीदा है, उससे ज्यादा पेचीदा यह समझना है कि कौन किसके साथ है। कतर अमेरिका का दोस्त है, अमेरिका इस्राइल का दोस्त है, इस्राइल हमास का दुश्मन है, हमास कतर का दोस्त है, तो भाईजी आखिर में कौन है किसके साथ।
दरअसल युद्ध कारोबार होता है, उसमें कोई किसी का दोस्त नहीं होता, सब अपने धंधे के दोस्त होते हैं। अरब देशों का तेल बिकता है, फिर तेल बाजार में रूस बहुत जोरदारी से आ जाता है। बाजार में एक नया बड़ा दुकानदार आ जाये, तो पुराने बड़े दुकानदार परेशान हो जाते हैं। रूस का माल धुआंधार बिक रहा है। पुराने दुकानदारों का माल कम बिक रहा है। भारत जैसे ग्राहक देशों की मौज है, बाजार में नया दुकानदार आ जाये, तो ग्राहकों की मौज आ ही जाती है। भारत रूस का दोस्त है और अरब देशों का दोस्त है, अरब देशों की पिटाई करने वाले इस्राइल का भी दोस्त है।
सब सबके दोस्त हैं, यानी कोई किसी का दोस्त नहीं है। धंधा धंधा है, उसमें दोस्त दोस्त नहीं होते, परमानेंटली। उसमें दुश्मन दुश्मन न होते, परमानेंटली। धंधे में सब दोस्त हैं। वक्त था एक क्रिस गेल वेस्टइंडीज टीम की तरफ से भारतीय टीम के प्रतिद्वंद्वी होते थे। अब कपिल देव और क्रिस गेल मिल-जुलकर काम करते हैं। धंधा दोस्ती करवा देता हैै। पाकिस्तानी खिलाड़ियों की शिकायत यह कि उन्हें भारत से पैसे नहीं कमाने दिये जाते। भारत में आईपीएल का भंडारा चलता है, उसमें खाने-पीने पूरी दुनिया के खिलाड़ी आते हैं, पाकिस्तानियों को नहीं आने दिया जाता। पाकिस्तानी खिलाड़ियों को भी अगर आने दिया जाये, तो पाकिस्तानी खिलाड़ी भी भारत को दोस्त मानने लग जायेंगे। धंधा जहां से मिलता है, वहां दोस्ती हो जाती है या कम से कम दुश्मनी एक लेवल से आगे नहीं जाती। चाइनीज कंपनियां दे दनादन भारत में फोन बेचती हैं। गलवान हो जाये, फिर भी फोन की बिक्री चलती रहती है। चीन को पता है कि धंधा करना है, तो मारधाड़ एक लेवल से आगे नहीं जाती।
पाकिस्तान की मारधाड़ अब अफगानिस्तान से भी शुरू हो गयी है, क्योंकि अफगानिस्तान को पता है पाकिस्तान के पास है क्या, अफगानिस्तान को देने के लिए। तो कुल मिलाकर धंधे चलते रहें, तो मारधाड़ कम हो जाती है। जिनपे धंधा होता है, वो लड़ाई एक लेवल से ज्यादा न ले जा सकते। यह बात न पाकिस्तान को समझ में आती न हमास को, इसीलिए दोनों चीख रहे हैं, चिल्ला रहे हैं, कोई ध्यान नहीं दे रहा है। अरब देश भारत से कह सकते हैं-हम आपके कच्चे तेल के पुराने दुकानदार, आप कहां रूस की तरफ जा रहे हैं। भारत का जवाब यही होगा-जहां सस्ता मिलेगा जी, वहीं निकल लेंगे। दोस्ती अपनी जगह है, धंधा अपनी जगह। कतर बड़ा दुकानदार है, सब तरफ के बंदों को बेचने के लिए उसके पास कुछ है, अमेरिका को भी वह कुछ बेचता है और हमास वाले भी उससे कुछ न कुछ खरीदते हैं। कुल मिलाकर कामयाब दुकानदार वही है, जो सबको बेचे, दुश्मन को भी बेचे।

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