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छात्र बोले-हम अफगानिस्तान नहीं जाना चाहते, भारत दे नागरिकता

12:58 PM Aug 18, 2021 IST

वीरेंद्र प्रमोद/निस

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लुधियाना, 17 अगस्त

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) में पढ़ रहे अफगानी छात्र काबुल व अन्य शहरों में रह रहे अपने परिवारों को लेकर बेहद चिंतित और परेशान हैं। अफगानिस्तान के ज्यादातर छात्र पीएचडी या स्नातकोत्तर कोर्सों की शिक्षा ले रहे हैं। सभी अफगान छात्र अपने देश वापस नहीं जाना चाहते। पीएयू में पढ़ रहे इन छात्रं ने एक सुर में कहा, ‘हम अपने देश वापस नहीं जायेंगे क्योंकि वहां हमारी जान को खतरा है। हम चाहते हैं कि भारत सरकार हमें भारत की नागरिकता प्रदान करे ताकि हम शांतिपूर्ण और सम्मानजनक जीवन भारत में जी सकें।’

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ये छात्र अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अब्दुल गनी, जिन्हें तालिबान ने अपने देश से भागने को मजबूर कर दिया है, की भरपूर तारीफ करते हैं व उन्हें एक नेक व्यक्ति मानते हैं। उनका कहा कि श्री गनी को डर था कि कहीं तालिबान के शासन के दौरान उनको कठिन समय से गुजरना न पड़े। पीएयू से पीएचडी कर रहे अहमद मुसब्बर ने कहा कि सौभाग्य से वे रविवार को अपने माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्यों से बात करने में सफल रहे। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि वे घर में बंद हैं और बाहर तालिबान घूम रहे हैं। सभी बहुत डरे हुए हैं। उनकी इच्छा है कि भारत सरकार वहां रहने वाले भारतीयों के साथ उनके माता-पिता को भी भारत में सुरक्षित स्थानांतरित कर दे। कृषि विश्वविद्यालय में 11 अफगान छात्र पिछले दो साल से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। ये सभी पीएयू इंटरनेशनल स्टूडेंट सेंटर में रह रहे हैं जिन्हें अफगानिस्तान के कृषि विभाग ने प्रायोजित किया हुआ है।

अफगानी छात्र नूर अली नूरी ने कहा ‘हम पिछले कई दिनों से रात को अपने परिवारों के सदस्यों की हालत संबंधी अंदाजा लगाकर रातों को सो भी नहीं पा रहे हैं। हमारे परिवार हालांकि अभी तक महफूज हैं लेकिन वे सभी अफगानिस्तान में परिवर्तित परिस्थितियों से बुरी तरह से डरे हुए हैं और असुरक्षित महसूस करते हैं।’ उन्होंने कहा कि हालांकि मुस्लिम धर्म हिंसा में विश्वास नहीं करता है, फिर भी तालिबान वहां के लोगों पर अपना कट्टरपंथी एजेंडा और विचारधारा सख्ती से थोंप रहा है। उसे स्वीकार कराने के लिए हिंसा का इस्तेमाल भी किया जाता है।

उन्होंने कहा, ‘तालिबान शिक्षा में विश्वास नहीं करते हैं, विशेष रूप से महिलाओं के लिये शिक्षा के विरोधी हैं। तालिबानी एजेंडे के अनुसार कोई भी महिला अकेले घर से बाहर नहीं जा सकती, ना ही बिना बुर्का घर से बाहर जा सकती है, टीवी चैनल देखने या संगीत का आनंद लेने और नौकरी करने की भी मनाही है। वह सभी मुसलमानों को अपने कट्टरपंथी एजेंडे के अनुसार सलवार-कुर्ता पहनने और सख्त धर्म-संहिता का पालन करने के लिए मजबूर करते हैं। आदेश की उल्लंघना करने वाले की हत्या करने में संकोच नहीं करते।’ अफगान छात्रों ने अपने देश में शांति बहाली में मदद करने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील भी की। पीएचडी कर रहे एक अन्य अफगान छात्र अहमद मुबाशेर ने कहा कि वह तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को लेकर चिंतित है। उसने कहा, ‘नि:संदेह, मुझे अपने परिवार, अपने भाई-बहन को लेकर चिंता है।’ अफगानिस्तान के बागलान प्रांत निवासी मुबोशर (32) ने कहा कि वह अपने परिवार के लगातार संपर्क में है। इस बीच पंजाब यूनिवर्सिटी ने भी अफगान छात्रों का हाल-चाल जाना मगर अभी तक उनकी तरफ से ऐसी कोई शिकायत या मांग नहीं आयी।

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