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दुखांतों से जूझते संघर्षशील पात्र

07:48 AM Mar 17, 2024 IST
दुखांतों से जूझते संघर्षशील पात्र
पुस्तक : सुनहरी उंगलियां लेखिक : नासिरा शर्मा प्रकाशक : लोक भारत, प्रयागराज पृष्ठ : 144 मूल्य : रु. 199.
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मनोज कुमार ‘प्रीत’

प्रसिद्ध लेखिका नासिरा शर्मा की हिंदी साहित्य को एक बहुत बड़ी देन है। लगभग 42 पुस्तकों के बाद और बीस वर्ष के अंतराल पर आया इनका कहानी संग्रह ‘सुनहरी उंगलियां’ समाज के संघर्षशील श्रमिकों को पृथक-पृथक रूप में प्रस्तुत किया गया मार्मिक संग्रह है।
जीवंतता बनाये रखने के लिए इन कहानियों के पात्र अपनी हस्त-कला द्वारा गांव व शहर, अमीरी और गरीबी, विवशताओं और लाचारियों में स्वयं को स्थापित करते नजर आते हैं। इन कहानियों का चित्रण जहां अत्यंत सरलता व तरलता सहेजे है, वहीं पारिवारिक व सामाजिक संबंधों का गठजोड़ पाठक को बांधता है। पुराने परिवारों की पारंपरिक कला आज के शहरी व मशीनी युग ने हड़प ली है। परिवार से दूर और शहर में बसने का दर्द, भिन्न-भिन्न मेहनतकशी में पेट पालना और जीवन की सदैव सक्रियता बनाए रखना इस कहानियों के पात्रों की दुविधा है।
अलाव सबूत, फ़ितरत या सुनहरी उंगलियों के पात्र आदर्शवाद व नैतिकता के बल पर जीते दिखाई देते हैं। कोविड काल की त्रासदी भी इन पात्रों को तोड़ती है। आपसी रिश्तों में बंधे मानवीयता का संदेश देते हैं। सही मायनों में यह संग्रह हमारे पुराने परिवारों का कुशल दस्तावेज हैं जिसे कोविड, संप्रदाय, भेदभाव व नवीनीकरण सहित इक्कीसवीं सदी के अागमन पर सजाे कर अमूल्य धरोहर की तरह सहेजा गया है।
हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी के अनेक शब्दों का सुमेल सामान्य पाठक को भी सहेजता है। आपसी संबंधों को बड़ी सूक्ष्मता सहित मनोवैज्ञानिक रूप में दर्शा कर मजबूत करने का एक सफल कहानी संग्रह है। पात्र चित्रण, वाकपटुता व संवेदनशीलता इतनी प्रभावित करती हैं मानो पाठक स्वयं उन सबके मध्य विचरण करता हो।
समाज के बदलते परिवेश, अंतर्द्वंद्व, अकेलापन, संवेदना व हाथ की दस्तकारी में जुटे संघर्षशील पात्र अपने दुखांतों से शिकायत नहीं करते अपितु परिस्थितियों से जूझकर सफलता छूने को तत्पर रहते हैं।

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