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भारतीय सुरक्षा व्यवस्था को शक्ति व सामर्थ्य

06:25 AM Aug 29, 2023 IST

डॉ. सुरेन्द्र कुमार मिश्र

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स्वाधीनता के पश्चात‍् भारत की सशस्त्र सेनायें अपने सबसे बड़े पुनर्गठन के दौर में हैं, क्योंकि प्रथम इंटीग्रेटेड थिएटर कमाण्ड (आईटीसी) को आरम्भ करने की तैयारी अत्यंत प्रगति पर है। वास्तव में थिएटर कमाण्ड द्वारा यह सुनिश्चित हो जाता है कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय बना हुआ है और सभी सैन्य बल एक साथ कार्य करने हेतु तैयार हैं। इस प्रकार की कमाण्ड गठित हो जाने से तुलनात्मक रक्षा व्यय भी कम हो जाता है और इससे बचत भी हो जाती है। इसके साथ ही संसाधनों का उपयोग शक्ति की मितव्ययता के सिद्धान्त के आधार पर किया जा सकता है। थिएटर कमाण्ड एक ऐसी संरचना है जिसे सैन्य प्रभाव प्राप्त करने के लिए युद्ध के थिएटर में सभी सैन्य बलों को नियंत्रित करने के लिए डिजाइन किया जाता है। सामरिक रूप से इसे थल सेना, वायु सेना और नौसेना की एक संयुक्त कमाण्ड को थिएटर कमाण्ड कहा जाता है।
वर्तमान भारत में मौजूदा सेवा विशेष कमाण्ड के मॉडल के विपरीत है, जिसमें सम्पूर्ण देश में थल सेना, वायु सेना और नौसेना सभी की अपनी अपनी कमाण्ड हैं। युद्ध की स्थिति में प्रत्येक सेना प्रमुख का दायित्व होता है कि वह व्यक्तिगत माध्यम से अपनी सेवा के संचालन को नियंत्रित एवं निर्देशित करे, जबकि ये सभी संयुक्त रूप से कार्य करते हैं। उल्लेखनीय है कि विशेष रूप से 19 मौजूदा कमाण्डों में से 17 एकल सेवा उन्मुख कमाण्ड हैं जिनमें सात थल सेना, सात वायु सेना और तीन नौ सेना कमाण्ड हैं। केवल अण्डमान और निकोबार कमाण्ड और सामरिक बल कमाण्ड, जो देश के परमाणु भण्डार के प्रभारी हैं, जो त्रिसेवा कमाण्ड के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं। भारतीय सेना को पांच थिएटर कमाण्डों में पुनर्गठित करने की प्रक्रिया शुरू करने का जो निर्णय किया गया है, उसके पीछे कुछ भूमिका मौजूदा परिस्थितियों में सेना की कार्यशैली और नजरिये में दूरगामी प्रकृति के बदलाव देखने को मिलेंगे। इस बात से कदापि भी नकारा नहीं जा सकता कि वर्तमान समय में देश की सेना जिन चुनौतियों से जूझ रही है, वे सामान्य नहीं हैं। पड़ोसी देश चीन एवं पाकिस्तान निरन्तर तनावपूर्ण स्थितियां पैदा करते रहते हैं।
उल्लेखनीय है कि जनवरी, 2020 में चीफ अॉफ डिफेंस स्टॉफ जनरल विपिन रावत को थिएटर कमाण्ड में तीन वर्ष के लिए ट्राई सर्विसेज यूनाइटेड की कमान सौंपी गयी। सेवारत चीफ अॉफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) अनिल चौहान ने पहले रसद, हथियार खरीद, समर्थन प्रणाली, परिवहन व संचार व्यवस्था को थिएटर कमाण्ड पर आगे बढ़ाकर ‘नीचे से ऊपर’ दृष्टिकोण के लिए विशेष रूप से बल दिया है। एकीकृत थिएटर कमाण्ड ने एक बहुत प्रतीक्षित सैन्य सुधार की रणनीति बनायी, जिसमें विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र के लिए सभी युद्ध लड़ने वाली सेनाओं और सभी सेनाओं में से एक ही कमाण्डर की अधीनता शामिल की जायेगी, हालांकि इसमें कुछ व्यावहारिक परेशानियां समाहित हैं।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार दा इण्टर सर्विस आर्गेनाइजेशन (कमाण्ड, कंट्रोल एण्ड डिसिप्लेन) बिल 2023 में इंटीग्रेटेड थिएटर कमाण्ड के लक्ष्यों के प्रावधान रखे गये हैं। इस विधेयक को 4 अगस्त, 2023 को लोकसभा में और बाद में राज्यसभा द्वारा भी पारित कर दिया गया। सेना की थिएटर कमाण्ड में तीनों सेनाओं (थल, नभ व नौ सेना) का प्रतिनिधित्व तो होगा ही, किन्तु अब आवश्यकता पड़ने पर इसमें अर्धसैनिक बलों को भी शािमल किया जा सकेगा। थिएटर कमाण्ड की प्रक्रिया को सरल एवं व्यावहारिक बनाने के लिए लाये गये विधेयक में इस बाबत कानूनी प्रावधान किया गया है। दरअसल, सीमाओं की सुरक्षा में रक्षा सेनाओं के साथ-साथ इण्डो-तिब्बत बार्डर पुलिस (आईटीबीपी), बार्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) तथा सेण्ट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) जैसे अर्धसैनिक बल भी अपनी सक्रिय एवं महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
रक्षा मंत्रालय की योजना के अनुसार तीनों सेनाओं की मौजूदा 17 कमानों को अब चार थिएटर कमानों में बदला जायेगा। इसके तहत पूर्वी एवं पश्चिमी थिएटर कमाण्ड स्थल सेना की होगी, जिसका नेतृत्व स्थल सेना का एक लेफ्टिनेंट जनरल पद का सैन्य अधिकारी करेगा। जबकि एयर डिफेंस कमान का उत्तरदायित्व वायुसेना के अधिकारी को तथा समुद्री कमान का दायित्व नौसेना के पास होगा। उपर्युक्त चारों कमानों के मुख्यालय का निर्णय यथाशीघ्र होने की संभावना व्यक्त की गयी है। इसके साथ ही नये कानून के जरिये एक इण्टर सर्विसेज आर्गेनाइजेशन (आईएसओ) की स्थापना की जायेगी। इसमें कमाण्डिंग अॉफिसर को उसके अंतर्गत आने वाले सभी कर्मिकों के ऊपर कार्यवाही नियंत्रण एवं संचालन का अधिकार होगा। निःसंदेह इस विधेयक के कानून बनने से अंतर सेना संगठन की दक्षता व कार्य कुशलता बढ़ेगी और अनुशासनात्मक कार्यवाही को शीघ्रता के साथ निस्तारित किया जा सकेगा।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह केन्द्र सरकार को एक अन्तर सेवा संगठन गठित करने का अधिकार देता है। इस प्रकार एकीकृत थिएटर कमाण्ड के निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त होता है- जो कि एक प्रमुख समसामयिक सैन्य सुधार है।

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