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चीन के मुकाबले को रणनीतिक तैयारी

06:39 AM Jan 13, 2024 IST

डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव

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थल सेनाध्यक्ष की टिप्पणी कि चीन सीमा के पास हालात स्थिर हैं पर संवेदनशील हैं, गहरे निहितार्थ लिए हुए है। यह हकीकत है कि चीन की सीमा पर उसके साथ पिछले वर्ष जो तनाव शुरू हुआ था वह अभी तक समाप्त नहीं हुआ है। अब चीन सीमा के नजदीक भारतीय सेना पूरे वर्ष मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार रहेगी। रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण सेला टनल के तैयार हो जाने से भारतीय सेना के जवानों की पहुंच हर मौसम में चीन सीमा तक बनी रहेगी। यह टनल चीन सीमा तक पहुंचने के लिए प्राकृतिक रास्ते सेला दर्रे से 4200 मीटर तक खुदाई करके बनाई गई है। सेला दर्रा जहां कुछ माह बर्फ से ढके रहने के कारण बंद रहता है वहीं सेला टनल पूरे वर्ष आवागमन के लिए खुली रहेगी। इस टनल की मदद से भारतीय सेना पूरे वर्ष आसानी से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों एवं हथियारों की तैनाती कर सकेगी। इसके अलावा यह टनल चीन के सीमावर्ती इलाके से अरुणाचल प्रदेश और देश के बाकी हिस्से को पूरे वर्ष जोड़े रखेगी। दरअसल, इस सुरंग का शिलान्यास 1 अप्रैल, 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। अब इसका काम पूरा होने वाला है और अब प्रधानमंत्री कभी भी इसे देश को समर्पित कर सकते हैं।
चीन ने पैंगांग झील के उत्तरी हिस्से में अपनी सेनाएं तैनात कर रखी हैं। ऐसे में भारतीय सेना अपने नियंत्रण वाले ऊंचाइयों के स्थानों को छोड़ने के पक्ष में बिल्कुल नहीं है। चीन सीमा पर भयंकर सर्दी पड़ने के कारण मौसम खराब रहता है इसके बावजूद सेना ने वहां पर जमे रहने की अपनी पूरी तैयारी कर रखी है। ऐसे में चीन सीमा पर बराबर लम्बे समय तक डटे रहने और सर्दी से बचने के उपायों की तैयारी पूरी कर ली गई है। उल्लेखनीय है कि दोनों देशों की सेनाओं के कमांडरों के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है। ऐसे में एलएसी पर तैनाती बनाए रखना आवश्यक है क्योंकि चीन ने अरुणाचल प्रदेश से लद्दाख तक, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखण्ड से सटी अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक अपनी सैन्य तैयारी बढ़ा रखी है।
इस बार जब पंद्रह जनवरी को देश सेना दिवस मनाएगा, तो सेना नये आत्मविश्वास से भरी होगी। सेना के आधुनिकीकरण के तमाम उपायों को मूर्त रूप दिया गया है। चालू वर्ष में भारतीय सेना हल्की बुलेटप्रूफ जैकेट से लैस हो जाएगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दुनिया की पहली बीआईएस लेबल 5 एवं बीआईएस लेबल 6 की सबसे हल्की एवं मजबूत मेड इन इंडिया अभेद्य दो तरह की बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने में सफलता हासिल कर ली है। फिलहाल भारतीय सेना के जवान बीआईएस लेबल 5 की 10 किलोग्राम वजन वाली विदेशी जैकेटों का प्रयोग करते हैं। नई जैकेटें वजन में हल्की होने के साथ ही साइज में अधिक चौड़ी हैं व स्नाइपर गन की 6 से 8 गोलियां झेल सकती हैं।
चीन व पाकिस्तान की सीमा पर बेहतर निगरानी के लिए थल सेना के सभी कमांड केन्द्र व अन्य सेनाओं से तालमेल बनाए रखने हेतु जल्द ही नया सेटेलाइट बनाया जाएगा। इसका निर्माण इसरो द्वारा किया जाना है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने गत वर्ष न्यू स्पेस इंडिया से 2963 करोड़ रुपये का समझौता किया था। यह सैन्य उपग्रह तकरीबन पांच टन वजन का होगा। यह एक एडवांस्ड कम्यूनिकेशन सेटेलाइट होगा जो सेना के हर मिशन की सटीक जानकारी देगा और खुफिया संचार में भी मदद करेगा। यह एक प्रकार का जियोस्टेशनरी उपग्रह होगा, जिससे रियल टाइम इमेजरी हो सकेगी तथा इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस के जरिए सर्विलांस करना आसान होगा। वहीं किसी भी स्थिति में निपटने के लिए भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर की उत्तरी व पश्चिम सीमा पर स्वदेश निर्मित हाईटेक ड्रोन की तैनाती कर रखी है।
चीन सीमा पर सैन्य ऑपरेशन के दौरान गोला-बारूद की आपूर्ति, मश्ाीनगनों और राइफलों के मेंटिनेंस पर भी सेना सजग है। इन मसलों को लेकर अक्तूबर, 2023 में मध्य भारत एरिया के सैन्य मुख्यालय में 6 राज्यों के सैन्य कमांडर एवं वरिष्ठ सैन्य अधिकारी एकत्र हुए थे। मुख्य मुद्दा गोला-बारूद के स्टॉक को तत्काल सीमा तक पहंुचाने का था।
भारतीय सेना ने अपनी हवाई रक्षा क्षमता को बढ़ावा देने की दिशा में भी अपने कदम बढ़ा लिए हैं। इसके लिए सेना ने जमीन से हवा में मार करने में सक्षम मिसाइल रेजिमेंट को गठित किया है। इसे पूर्वी कमांड के क्षेत्र में स्थापित किया गया है। यह रेजिमेंट लड़ाकू विमानों, यूएवी, हेलिकॉप्टर, सुपरसोनिक मिसाइल जैसे हवाई लक्ष्यों का एक साथ सामना करने एवं हवाई सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है।
लद्दाख क्षेत्र में सीमा पर टैंक व सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की तैनाती कर दी गई है। सेना की आपूर्ति व्यवस्था में कोई परेशानी न आए, इसके लिए सीमा पर बिछाई गई सड़कों के जाल ने स्थिति को बेहतर बना दिया है। ऐसी ताकतवर सेना किसी भी शत्रु सेना को हर क्षेत्र में पराजित करने के लिए सक्षम है।

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