For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

बदलते समय की कहानियां

07:35 AM Jun 30, 2024 IST
बदलते समय की कहानियां
Advertisement

सरस्वती रमेश
इक्कीसवीं सदी में विकास का शोर अपने चरम पर है। इस विकास के रास्ते विनाश भी आगे बढ़ रहा है। इसे कला, साहित्य से जुड़े लोगों ने शिद्दत से महसूस किया है और अपनी कृतियों में इस भय, पीड़ा को अपने-अपने तरीके से व्यक्त किया है। मुरारी शर्मा के कहानी संग्रह ‘हवाओं का रुख’ की कहानियां भी इसी भय और पीड़ा से होकर गुजरती हैं। इन कहानियों में बदलते समय में बदलती सामाजिक व्यवस्थाएं, मानवीय सरोकारों से दूरी, सम्बन्धों पर चढ़ती स्वार्थ की धुंध और प्रकृति के नष्ट होने की व्यथाएं हैं। इस संग्रह को हाल ही में प्रकाशित किया है अंतिका प्रकाशन ने।
पहली ही कहानी ‘मास्टर दीनानाथ की डायरी’ में दुनिया जहान की बातें कैद हैं। युद्ध, कर्फ्यू, लॉकडाउन, महामारी, विस्थापन सबकी पीड़ा मास्टरजी ने देखी भोगी है। मास्टर जी का मन इससे आहत है। लेकिन वह अपने अंदरूनी जख्मों को दुनिया को नहीं दिखा पाते और दुनिया उनको पागल मानने लगी है।
शीर्षक कहानी ‘हवाओं का रुख’ उजड़ते गांव और दरकते विश्वास की कहानी है। लोगों के मन में गांव की तस्वीर हमेशा सुनहरी यादों से भरी होती है। जब गांव उजड़ता है और परंपराएं बिखरती हैं तो यादों के महल भी खंडहर बन डराने लगते हैं। ‘नदी किनारे का गांव’ भी गांव पर आधारित सुंदर कहानी है।
‘बंद दरवाजा’ नशे की समस्या पर आधारित कहानी है। अनैतिक कार्यों में लिप्त पिता के कारण बेटा भी नशेड़ी बन गया और मां दोनों के बीच पिस रही। ‘कवि सम्मेलन’ आज के दौर में कवि और कविताओं के हश्र को बताती है।
लेखक की कहानी कहने की अपनी एक शैली है। जिसमें वे कहानी के साथ उसके सामाजिक मंतव्य भी कहते चलते हैं। यह कहानी को और गहराई से पाठक के मन में स्थापित करता है।
पुस्तक : हवाओं का रुख लेखक : मुरारी शर्मा प्रकाशक : अंतिका प्रकाशन, गाजियाबाद पृष्ठ : 96 मूल्य : रु. 330.

Advertisement

Advertisement
Advertisement