आत्मा रूपी सत्ता
07:45 AM May 29, 2024 IST
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आदि जगद्गुरु शंकराचार्य से शास्त्रार्थ में पराजित एक धर्मगुरु के शिष्यों ने खीझकर कापालिक को शंकराचार्य की हत्या के लिए भेजा। जैसे ही कापालिक ने शंकराचार्य के सामने पहुंचकर तलवार निकाली कि उन्होंने कहा, ‘कापालिक, तुम्हारे शरीर और मेरे शरीर में आत्मा रूपी एक ही सत्ता है। तुम किसकी हत्या करना चाहते हो?’ कापालिक स्वयं धर्मशास्त्रों का पंडित था। शंकराचार्य के शब्दों ने उसकी आत्मा को झकझोर दिया। उसने तलवार जमीन पर फेंक दी तथा शंकराचार्य के चरणों में गिर कर बोला, ‘महात्मन, वास्तव में मैं एक सत्ता का अस्तित्व भूलकर किसी के बरगलाने पर यह अक्षम्य अपराध करने को उद्यत हो गया था। आपके शब्दों ने मुझे ‘अपने’ से परिचित कराया है।’ कापालिक शंकराचार्य का शिष्य बन गया और जीवन-पर्यंत उनके विचारों के प्रचार के लिए समर्पित हो गया। प्रस्तुति : डॉ. जयभगवान शर्मा
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