कभी आर कभी पार, ऐसी मौसम की मार
सहीराम
दिल्ली एनसीआर में एक्यूआई पांच सौ पार कर गयी जी। पता चला कि हर आदमी चालीस सिगरेट के बराबर धुआं पी रहा है और खांस रहा है। उसकी सांस उखड़ रही है। सिगरेट की डिब्बी पर तो चेतावनी लिखी होती है कि धूम्रपान सेहत के लिए नुकसानदेह है। पांच सौ एक्यूआई पार करने वाली हवा के बारे में ऐसी कोई चेतावनी नहीं दी जाती। बस किसानों पर पराली जलाने का आरोप मढ़ दिया जाता है। मुकदमे थोप दिए जाते हैं। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से नहीं कहा जाता कि गाड़िया कम बनाओ या कम बेचो। गाड़ी वालों से कोई नहीं कहता कि भैया पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल कर लो। बस बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है कि बेटा हवा बहुत खराब है- घर में रहो।
हवा सचमुच खराब है जी। और सच पूछो तो हवा इंसान की ही खराब हो रही है। जैसे आज यह कहा जा रहा है कि दिल्ली-एनसीआर का हर आदमी चालीस सिगरेट के बराबर धुआं पी रहा है वैसे ही कल को यह भी कहा जा सकता है कि यमुना का पानी पीकर हर आदमी चूहे मारने की दवा की एक शीशी जितना या फिर सल्फास की दो गोलियों जितना जहर पी रहा है। या फिर अगर ऐसे ही मापना है तो यह भी कहा जा सकता है कि सब्जियों के साथ हर आदमी इतना कैमिकल ले रहा है, जितने में एक एकड़ का खरपतवार खत्म हो सकता है। मामला काफी भयावह बनता जा रहा है जी।
आज बेशक यह कहा जा रहा है कि दिल्ली एनसीआर में एक्यूआई पांच सौ पार गया, लेकिन अभी थोड़े दिन पहले कहा जा रहा था कि गर्मी पचास डिग्री के पार जा सकती है। राजस्थान या आंध्र प्रदेश में कई जगह पारा पचास डिग्री पर पहुंच भी जाता है, लेकिन लू से बिहार और यूपी वाले भी मरते हैं। फिर बताया गया कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बादल फट रहे हैं। भैया अभी तक मुहावरा छप्पर फाड़कर देने का ही चला है, बादल फाड़ बरसने का नहीं चला है।
खैर, अब ऊपर वाला छप्पर फाड़कर तो देता नहीं है, बादल फाड़कर ही बरसता है, सो यह मुहावरा भी चल ही जाएगा। अब थोड़े दिन बाद में यह बताया जाएगा कि कड़ाके की सर्दी के चलते पारा शून्य से नीचे जा सकता है। फलां-फलां जगह पाला जम सकता है। फसलों को नुकसान हो सकता है। शीतलहर से इतनी-इतनी मौतें हो चुकी हैं। ऐसे में जिन्हें नाज है हिंद पर वो कहां हैं, की तर्ज पर यह पूछ लेना चाहिए कि जो मुरीद हैं दिल्ली की सर्दी के- वो कहां हैं, कहां हैं। गर्मी में गर्मी बढ़ रही है। सर्दी में सर्दी बढ़ रही है। लेकिन इस बढ़ती स्मॉग को किस मौसम में डालें। सोच कर बताइए तो!